जब महान मुगल उत्तर भारत पर हुकूमत कर रहे और उसे गढ़ रहे थे, हैदराबाद के आसपास के इलाके में कुतुब शाही राजघराने (1512-1687) का उत्थान और पतन हुआ. कला और शिक्षा के संरक्षक इस राजघराने की सत्ता का केंद्र गोलकुंडा का किला था. उसके चारों तरफ उन्होंने धैर्य के साथ एक पर एक बढ़ाते हुए कुछ ऐसी इमारतों का निर्माण कराया जो समूची मध्यकालीन दुनिया की सबसे शानदार इमारतों में थीं. एक के बाद एक हुक्मरानों ने 100 एकड़ से ज्यादा भूभाग में 40 मकबरों, 23 मस्जिदों, पांच बावड़ियों (सीढ़ीदार कुओं), एक हम्माम (स्नानघर), मंडपों और अन्य उद्यान संरचनाओं के इस परिसर को आकार दिया. कभी अपनी सादगी भरी भव्यता के लिए मशहूर कब्रिस्तान बगीचे हाल के दशकों में बदहाली के दौर से गुजरे इसके हरे-भरे पेड़-पौधों को अंधाधुंध शहरीकरण ने उजाड़ दिया, भव्य ढांचों से ग्रेनाइट के टुकड़े उखाड़ लिए गए, बावड़ियां मलबे का जखीरा बन गईं, गुंबद अनदेखी से काले पड़ गए, पेचीदा राजगीरी जीर्ण-शीर्ण हो गई. यह स्थिति तब थी जब 2013 में आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर (एकेटीसी) ने तेलंगाना सरकार के साथ मिलकर ढांचों को बहाल करने और उनके आसपास के भौगोलिक इलाके के पारिस्थितिकी तंत्र को फिर जिंदा करने का संकल्प लिया. उन्होंने इसे कुतुब शाही हेरिटेज पार्क नाम दिया. इस तरह दशक भर लंबी संरक्षण प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें सैकड़ों मिस्तरी और कारीगर लगे. इस जगह को सांस्कृतिक स्थल के तौर पर भी स्थापित करने की कोशिश की गई. आखिरकार निजारी इस्माइली शिया संप्रदाय के प्रमुख करीम आगा खान के दूसरे बेटे रहीम आगा खान नई सज-धज से तैयार कुतुब शाही हेरिटेज पार्क (क्यूएसएचपी) को 28 जुलाई को औपचारिक रूप से तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को सौंप दिया. एकेटीसी की स्थापना करीम आगा खान ने मुस्लिम समाजों की विविध सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए की थी.
Diese Geschichte stammt aus der August 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.