हिंसक दौर के बाद जहां बांग्लादेश में हिंदुओं के विरोध-प्रदर्शन बढ़े, वहीं भारत के माथे पर चिंता की लकीरें भी पड़ गईं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस से बात की और पूरे प्रकरण पर चिंता जाहिर की. अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर कहां कितना नुक्सान हुआ. बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सबसे बड़े संयुक्त संगठन हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के सदस्य सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का ब्योरा जुटाने में लगे हैं. संगठन का दावा है कि 5 से 8 अगस्त के बीच देश के 52 जिलों में सांप्रदायिक उत्पीड़न की 200 से ज्यादा घटनाएं हुईं. ये तथ्य सिर्फ प्रारंभिक सूचनाओं पर आधारित हैं. सूत्रों की मानें तो पिछले तीन सप्ताह में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की लगभग 1,500 घटनाएं हुई हैं. हालांकि, यूनुस बार-बार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा करने के साथ धार्मिक सद्भाव बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं लेकिन परिषद का कहना है कि जमीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है.
Diese Geschichte stammt aus der September 11, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
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हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
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डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
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