कृष्ण कुमार अपने गांव के राशन डीलर हैं. जब 1976 में गंडक परियोजना के तहत टेढ़ीघाट से उनके गांव तक नहर की खुदाई हो रही थी तब वे बीस साल के थे. वे बताते हैं, "गयासुद्दीन ठेकेदार को नहर खुदवाने का ठेका मिला था. उस वक्त हमारे खेतों में गेहूं पकने ही वाला था. लेकिन गेहूं काटकर फेंक दिया गया. कहा गया सरकारी काम है. फिर कुदाली से नहर खुदी. मशीनें भी आईं. नहर खुदी तो कहा गया कि अब दो सीजन अच्छी खेती होगी. लेकिन तब नहर तो खुद गई, पानी कभी नहीं आया. गांव के लोग इंतजार ही करते रह गए."
यह कहानी गंडक नदी से निकली उन नहरों की है, जो सीवान शहर से बिल्कुल सटे जुड़कन, मड़कन, पैगंबरपुर और आसपास के कई गांवों से होकर निकलती हैं. गंडक परियोजना से निकली नहरों की तीन लघु उप नहर जिसे स्थानीय भाषा में जलवाहा भी कहते हैं, के बारे में स्थानीय किसान कहते हैं कि इनमें कभी पानी नहीं आया. ये तीनों लघु उप नहरें टेढ़ीघाट मुख्य नहर के पास से निकली हैं. टेढ़ीघाट नहर के पास आज भी लोहे का एक गेट बना है, जिसे उठाने पर पानी इन लघु उप नहरों में जा सकता है. मगर किसान बताते हैं कि उस गेट को आज तक उठाया ही नहीं गया.
जुड़कन गांव के किसान जीतन चौधरी सीवान शहर से उनके गांव की तरफ आने वाली मुख्य सड़क के किनारे टेढ़ीघाट-जुड़कन लघु उप नहर की शाखा के अवशेषों को दिखाते हैं. सड़क के किनारे छोटी-सी पुलिया है और उसके दोनों तरफ तीन-चार फुट गहरा गड्ढा है, जिसमें दोनों तरफ झाड़ियां उगी हैं. देखकर बिल्कुल नहीं लगता कि यहां कोई नहर होगी. मगर जब वे उस नहर के किनारे बनी ईंट की सड़क से हमें थोड़ा अंदर ले जाते हैं, तो समझ आता है कि यह छोटी और पतली-सी नहर है, जहां झाड़ियां उग गई हैं.
Diese Geschichte stammt aus der September 25, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September 25, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं