ठोकने की यह कैसी नीति
India Today Hindi|September 25, 2024
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
आशीष मिश्र
ठोकने की यह कैसी नीति

खनऊ-वाराणसी हाइवे पर जौनपुर के सिंगरामऊ कस्बे से ठीक 20 किलोमीटर दूर एक संकरी सड़क बाईं ओर कटती है. दो किलोमीटर लंबी यह सड़क बक्शा थाने के अगरौरा गांव पहुंचती है जहां इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. यह खामोशी उस वक्त टूटती है जब राजनैतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता ढूंढते हुए अगरौरा गांव के बीचोबीच मौजूद एक झोपड़ीनुमा घर पर पहुंचते हैं. ईंट और पतरे की दीवारों वाला यह अधबना मकान राकेश यादव का है जिनके 20 वर्षीय बेटे मंगेश यादव की 5 सितंबर की सुबह सुल्तानपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर मिसिरपुर पुरैना गांव में यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से कथित मुठभेड़ में मौत हो गई. मंगेश की मां शीला देवी ने इकलौते बेटे के गम में चारपाई पकड़ ली है. भाई की मौत से टूट चुकी प्रिंसी मां को ढाढस बंधाने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन करुण रुदन ने माहौल को गमगीन कर दिया है.

यूपी का राजनैतिक ताप बढ़ाने वाले इस एनकाउंटर की पृष्ठभूमि 28 अगस्त को बनी जब पांच अज्ञात व्यक्तियों ने बंदूक की नोक पर सुल्तानपुर के ठठेरी बाजार इलाके में एक प्रसिद्ध सर्राफे की दुकान से लाखों रुपए के जेवर लूट ले गए. यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसने आदित्यनाथ सरकार के राज्य में सख्त कानून व्यवस्था के दावों पर सवाल खड़े कर दिए. इसी बीच पुलिस ने 2 और 3 सितंबर की आधी रात को करीब 3:40 बजे सुल्तानपुर के गोदावा क्षेत्र में एक इंटर कॉलेज के पास एक कथित मुठभेड़ में सर्राफा दुकान लूट के तीन आरोपियों के पैरों में गोली मारकर घायल कर दिया. पुलिस ने उनसे करीब 15 किलो चांदी के आभूषण बरामद करने का दावा किया. उनके मुताबिक, डकैती में 14 लोग शामिल थे, जिनकी पहचान 'मानव खुफिया और निगरानी तंत्र' के माध्यम से की गई. एक अन्य आरोपी विपिन सिंह, जिसके नाम पर दो दर्जन से अधिक मामले हैं, ने लूट की घटना के एक दिन बाद 29 अगस्त को रायबरेली की अदालत में पहले से दर्ज एक अन्य मामले में आत्मसमर्पण कर दिया. घटना के करीब दो हफ्ते बाद 11 सितंबर को सुल्तानपुर पुलिस ने चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लूटे गए पूरे सोने की बरामदगी का दावा किया.

Diese Geschichte stammt aus der September 25, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.

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