6.9 लाख करोड़ रुपए तेलंगाना की कुल देनदारी थी मार्च 2024 तक (8.3 लाख करोड़ रु. के साथ तमिलनाडु शीर्ष पर)
16,000 करोड़ रुपए के खर्च का कोई ब्योरा नहीं दिया है बिजली कंपनियों ने
1,262 करोड़ रुपए के केसीआर किट योजना के खर्च का ब्योरा नहीं मिला. यह योजना गर्भवती महिलाओं के लिए थी
यह स्वतंत्रता दिवस पर उनका पहला संबोधन था, लेकिन मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के पास अपने लोगों के लिए कम ही कोई अच्छी खबर थी. उन्होंने कहा, "तेलंगाना का कर्ज का बोझ 2014 में राज्य बनने के बाद 10 गुना हो गया है. उस वक्त कुल कर्ज 75,577 करोड़ रुपए था...मार्च में यह 7 लाख करोड़ रुपए हो गया." इससे मुक्ति का एक जाहिर रास्ता था: अगस्त के आरंभ में उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान विश्व बैंक ने ऊंची लागत वाले कुछ कर्ज चुकाने में दिलचस्पी दिखाई. मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि इससे पिछली के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) सरकार की "अंधाधुंध उधारियों" के जरिए राज्य पर थोपा गया बोझ कम होगा.
कांग्रेस सरकार ने राज्य की माली हालत पर अब श्वेत पत्र जारी किया है. रेवंत ने जोर देकर कहा, "मेरी सरकार ऊंची ब्याज दरों पर रकम उधार लेकर लोगों पर भारी बोझ डालने की गलती नहीं करेगी. वित्तीय अड़चनों के बावजूद सरकार अभय हस्तम (कांग्रेस के घोषणापत्र में दी गई कई गारंटियों) के चुनाव-पूर्व वादे पूरे करने की हर कोशश कर रही है."
इस फेहरिस्त में सबसे ऊपर 2 लाख रु. तक कर्ज माफ करने की मुश्किल चुनौती थी, जिसके लिए राज्य के खजाने से 31,000 करोड़ रुपए जाने थे. हालांकि पार्टी के राजनैतिक विरोधी कर्ज माफी योजना को गड़बड़ बताते हैं, पर सरकार ने अपनी किसान हितैषी छवि को साबित करने के लिए इसे अंजाम दिया.
नाजुक माली हालत
Diese Geschichte stammt aus der October 09, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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