सारण जिले के बहरौली गांव में बेबी देवी के पति एक हादसे के शिकार हुए थे. दिसंबर, 2022 में इसी जिले के मशरक में हुआ था जहरीली शराब का वह हादसा तब 66 लोगों की जान गई थी (गैर सरकारी अनुमान मरने वालों की संख्या सौ से ज्यादा बताते हैं). मरने वालों में बहरौली गांव के 14 लोग थे. बेबी देवी के पति की जान तो बच गई मगर एक आंख की रोशनी चली गई थी. बेबी देवी दबे स्वर में कहती हैं, "काम छूट गया लेकिन पीना नहीं छूटा. होश नहीं है कि इसी शराब की वजह से जान जाते-जाते बची.
होश ? कैसा होश ? और किसको है होश ? उस भीषण हादसे से न मशरक के लोगों ने सबक सीखा, न वहां से सटे सीवान के भगवानपुर हाट के लोगों ने अभी इसी 1516 अक्तूबर को एक बार फिर उस इलाके में जहरीली शराब का कहर टूटा और बहरौली से महज 7-8 किमी दूर सीवान के कौड़िया, माघर और सारण के इब्राहिमपुर गांव के 37 लोगों की जान चली गई. खबर लिखे जाने तक मरने वालों की संख्या रोज बढ़ रही है. इन गांवों में भी लोग होश में आए हों और उन्होंने शराब पीने से तौबा कर ली हो, ऐसा लगता नहीं.
प्रशासन का चौकस दावा है कि 2022 के हादसे के बाद इस इलाके में सख्ती खासी बढ़ाई गई, जागरूकता अभियान चलाया गया और लोगों को शराब न पीने और न पिलाने की कसम भी दिलाई गई. हादसे के शिकार लोगों के परिजनों से तो शपथपत्र तक भरवाए गए कि वे शराबबंदी में सरकार का सहयोग करेंगे.
18 अक्तूबर की दोपहर कौड़िया गांव के मुसहर टोले की बुजुर्ग औरत का रुदन पूरे टोले गूंज रहा था. उसके सामने श्मशान से लौटने वाले लोग आग, पानी, लोहा और पत्थर को छूने की रस्म निभा रहे थे. वे 60 साल के सूखल रावत के शव को जलाकर लौटे थे. 17 अक्तूबर को इसी टोले के पांच लोगों के दाह संस्कार की तैयारियां चल रही थीं. अगले ही दिन इस टोले में मरने वालों की संख्या दस पार कर गई.
Diese Geschichte stammt aus der November 06, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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