छत से छन-छन उतरी क्रांति
India Today Hindi|November 06, 2024
सरकार की छत पर सोलर पैनल की योजना आखिरकार दौड़ने लगी है और पीएम- सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के तहत 1 करोड़ आवेदन हो चुके हैं. इससे न केवल परिवारों की बचत होगी बल्कि यह देश को अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के नजदीक ले जाने में भी मददगार होगी
अजय सुकुमारन
छत से छन-छन उतरी क्रांति

बेंगलूरू में रहने वाले सी. ए. दिनाकर ने दो साल पहले शहर के बसावेश्वर नगर मोहल्ले में अपने घर की छत पर 4 किलोवॉट (केडब्ल्यू) का सौर बिजली संयंत्र लगवाया. तब से उन्हें बिजली के बिल की फिक्र नहीं करनी पड़ती. उल्टे इन दिनों वे और ज्यादा बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं. रूफटॉप सोलरसिस्टम लगवाने पर उन्हें 3 लाख रुपए की लागत आई और इससे दिन में औसतन 16 यूनिट बिजली पैदा होती है, जो उनकी दैनिक घरेलू खपत से ज्यादा है. अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेच दी जाती है. हालांकि पिछले साल कर्नाटक घरपरिवारों के लिए मुफ्त बिजली योजना लेकर आया, लेकिन खुद अपनी बिजली उत्पन्न करने के लिए सोलर फोटोवोल्टिक (या सोलर सेल) पैनलों में भारी शुरुआती निवेश करके वे खुश हैं. इलेक्ट्रिक इंजीनियर दिनाकर को लगता है कि यह फिक्स्ड डिपोजिट में पैसा रखने से बेहतर है.

अभी हाल तक दिनाकर सरीखे लोगों की जाम बहुत छोटी थी. भारत में रूफटॉप सोलर (आरटीएस) ने जोर जो नहीं पकड़ा था. सरकार 2014 में रूपटॉफ सोलर कार्यक्रम लाई, जिसका लक्ष्य 2022 तक रूफटॉप से 40 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) बिजली पैदा करना था. यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ - नवंबर 2023 तक कुल स्थापित क्षमता 10.4 गीगावॉट आंकी गई, जिसमें 2.65 गीगावॉट आवासीय रूफटॉप से थी. 2014 का यह कार्यक्रम जागरूकता की कमी, शुरुआती भारी लागत, ग्रिड की स्थिरता से जुड़े मसलों और कार्यबल के सीमित हुनर की वजह से लड़खड़ा गया. उद्योग के अनुमान के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में भारत भर में करीब पांच लाख आवासीय रूफटॉप सोलर स्थापित थे. ऐसे में सुधार जरूरी हो गया.

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