शिक्षा के क्षेत्र में गार्गी कार्यक्रम के माध्यम से नारी शिक्षा का अलख जगा। गांव-देहात की होनहार बेटियां इससे जुड़तीं चलीं गईं
पिताजी के तबादले-दर-तबादले के बाद जब मैं भोपाल पहुंचा, तो स्कूल में कुछ छात्रों ने व्यंग्य किया, “ये बिहारी है।” किसी ने “ऐ बिहारी” कह कर भी पुकारा। सुन कर बड़ा खराब लगा। मैं सोचने लगा, आखिर बिहार में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से इस राज्य के बारे में इस तरह उपहास किया जा रहा है। उसी दिन ठान लिया कि एक दिन सबको बताऊंगा कि बिहार क्या है। हालांकि बिहार के मिट्टी-पानी ने ऐतिहासिक रूप से अपनी उर्जा से पूरी दुनिया को पहले ही बता दिया है। फिर उम्र बढ़ने के साथ यह एहसास तो हुआ कि कहीं-कहीं बिहार के लोगों के मन में दीनता-हीनता का बोध जरूर है। तब मैंने ‘लेट अस इन्सपायर बिहार’ नाम से एक क्रार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के जरिये यह संदेश देना था कि हमारे पूर्वज कितने महान और बड़े शासक थे।
Diese Geschichte stammt aus der March 04, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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