अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव का अंदाजा चुनाव-पूर्व प्रत्याशियों के बीच हुई सार्वजनिक बहस में जीत-हार से नहीं लगाया जा सकता। फिलहाल, उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने पूर्व राष्ट्रपति तथा रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प को प्रेसिडेंशियल डिबेट में पछाड़ दिया है। वे बहुत आत्मविश्वास में दिखीं, उनके हमले बहुत पैने थे और उन्होंने ट्रम्प को ऐसा छीला कि वे भड़क गए। खासकर, जब कमला ने ट्रम्प की रैलियों में आ रही कम भीड़ का हवाला दिया तो ट्रम्प हड़बड़ा गए। बहस देखने वालों के बीच सीएनएन के एक तत्काल सर्वे से पता चला कि 63 फीसदी लोग मान रहे हैं कि कमला हैरिस ने बाजी जीत ली है जबकि 37 फीसदी ट्रम्प के पक्ष में हैं। ट्रम्प और उनके समर्थकों ने एबीसी चैनल के प्रस्तोताओं पर आरोप लगाया कि वे हैरिस का पक्ष ले रहे थे। ऐसा लगता है कि रिपब्लिकन पार्टी को ट्रम्प की हार का अहसास है।
अमेरिका आज एक बंटा हुआ राष्ट्र है। वहां भी भारत की तरह ‘गैरों’ का खौफ चुनावी बहसों पर हावी है। अमेरिका के गोरे ईसाइयों को डर है कि उनके प्रभुत्व को ‘गैरों’ से चुनौती मिल रही है। यह डर कमला हैरिस के कारण पैदा हुआ है जो अश्वेत हैं, एशियाई मूल की हैं और एक साथ नस्ली पूर्वाग्रहों और पितृसत्ता को चुनौती दे रही हैं। अमेरिका में पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा के चुने जाने के बाद अचानक गोरों के वर्चस्ववादी समूह सक्रिय हो गए थे। उन्होंने ओबामा के बारे में झूठ फैलाना शुरू कर दिया था कि वे मुसलमान हैं और देश के बाहर पैदा हुए हैं। ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान गोरों की ऐसी साजिशों को हवा मिली, जिसकी परिणति कैपिटल हिल पर हमले में हुई। ‘गैरों’ का ऐसा डर, खासकर अमेरिका के ग्रामीण इलाकों में कुछ तबकों पर खूब हावी है। इसकी छाया राजनीति पर भी पड़ी है। बांटने वाली इसी राजनीति का फायदा डोनाल्ड ट्रम्प को मिला है। न सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी के भीतर उनका प्रभुत्व बढ़ा है, बल्कि उनकी निजी लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ है।
इसीलिए कमला हैरिस की लोकप्रियता बढ़ती हुई तो दिख रही है, पर उनकी लड़ाई डोनाल्ड ट्रम्प से बहुत करीबी रहने वाली है। खासकर पेनसिल्वेनिया, जॉर्जिया, विस्कॉन्सिन, नेवादा, एरिजोना और मिशिगन में यह लड़ाई कांटे की होगी और यही प्रांत अंतिम चुनाव नतीजों को तय करेंगे।
Diese Geschichte stammt aus der October 14, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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