स्त्री और पुरुष एकदूसरे के पूरक हैं. प्रसिद्ध विचारक टैनीसन ने कहा है, "स्त्री और पुरुष का ध्येय परस्पर एक है, वे साथ ही साथ उन्नति करते हैं या पतन की ओर जाते हैं, छोटे या महान बनते हैं, पराधीन या स्वतंत्र होते हैं."
स्त्रीपुरुष दोनों का मिलना जरूरी है, तभी बच्चे होते हैं और परिवार बनता है. मगर जैसे संयुक्त परिवार से लोग न्यूक्लियर फैमिली या छोटे परिवार की ओर बढ़े हैं वैसे ही अब बहुत से पतिपत्नी हस्थी की झंझटों से मुक्त हो कर स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं, जिस के लिए या तो आपसी रजामंदी से अलग हो जाते हैं या फिर अदालत की शरण में जा कर तलाक लेना पसंद करते हैं.
विवाह संस्था अब बुरी तरह प्रभावित हो रही है. जहां पहले प्रेम और विश्वास था या समर्पण और एकदूसरे के प्रति लगाव की भावना जोर मारती थी, लोग अपने परिवार और रिश्तों के प्रति कर्तव्यबोध से बंधे थे, वहीं आज अदालतों में तलाक के ऐसेऐसे केस आ रहे हैं कि लगने लगा है मानो शादीविवाह गुड्डेगुड़ियों का खेल बन गया है. इतनी बड़ीबड़ी उम्र के लोग अपने बच्चों के शादीब्याह के बाद तलाक के लिए अदालत में खड़े होते हैं.
एक लंबा केस 9 साल तक चला. उस में पत्नी ने पति से इस आधार पर तलाक मांगा कि पति उस के लायक नहीं है. अदालतों ने पत्नी की नहीं सुनी. फिर अब दोनों की रजामंदी से तलाक हुआ.
Diese Geschichte stammt aus der August II 2022-Ausgabe von Sarita.
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