लंबी बीमारी मन पर पड़ता दुष्प्रभाव
Sarita|September First 2022
गंभीर बीमारी से मानसिक तनाव या स्ट्रैस का पैदा होना स्वाभाविक है. यह तनाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर हमेशा नकारात्मक प्रभाव डालता है और गंभीर बीमारियां तनाव के कारण और ज्यादा गंभीर हो जाती हैं. यही नहीं, तनाव के कारण मौजूदा बीमारी के साथ दूसरी बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं.
नसीम अंसारी कोचर
लंबी बीमारी मन पर पड़ता दुष्प्रभाव

लंबी और गंभीर बीमारियां निश्चित तौर पर मानसिक करती हैं. स्वास्थ्य को प्रभावित कोरोनरी हार्ट डिजीज, डायबिटीज, मिर्गी, कैंसर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, स्ट्रोक, अल्जाइमर रोग, एड्स, पार्किंसन डिजीज, सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, रूमेटाइड आथ्राइटिस आदि ऐसी बीमारियां हैं जो एक बार हो जाएं तो आजीवन साथ बनी रहती हैं.

 पूरे जीवन इन का इलाज चलता है और पीड़ित व्यक्ति को दवाओं, टैस्ट के अतिरिक्त अन्य कई मैडिकल ट्रीटमैंट्स से गुजरना पड़ता है, जो बेहद कष्टकारी होता है. इन बीमारियों के चलते मानसिक तनाव के साथसाथ बड़ी आर्थिक दिक्कतें भी पैदा हो जाती हैं. लंबी और गंभीर बीमारी अकेले नहीं आती, बल्कि अपने साथ और बीमारियों को ले कर आती है जिन में सब से पहला है अवसाद यानी डिप्रैशन.

सुशील 30 साल का तंदुरुस्त हंसताखेलता नौजवान बीते 2 सालों में जैसे 50 साल का बुजुर्ग नजर आने लगा है. वजह है कैंसर सुशील को मुंह और गले का कैंसर है. 2 साल में उस की 3 बार सर्जरी हो चुकी है. मुंह और गले का अधिकांश कैंसरग्रस्त हिस्सा काट कर हटाया जा चुका है. 3 सिटिंग्स कीमोथेरैपी हो चुकी है. कैंसर का पता चलने के बाद से ही सुशील मानसिक रूप से परेशान रहने लगा. हर वक्त चिंता और तनाव में घिर गया. उस का इलाज कैसे होगा, कितना पैसा लग जाएगा, हर औपरेशन से पहले सोचता कि पता नहीं बचूंगा या नहीं, मेरे बाद मेरे बीवीबच्चों को कौन संभालेगा, बूढ़े मांबाप को कौन देखेगा.

3 सर्जरियों और कीमोथेरैपी के बाद सुशील का शरीर जर्जर हो गया है. सिर के बाल कीमो की वजह से उड़ गए जो अब वापस तो आए हैं मगर बहुत कम संख्या में चेहरे और गरदन के हिस्से से मांस निकाल दिए जाने के कारण शरीर एक ओर को झुक गया है. मुंह में एक तरफ का जबड़ा हटा दिया गया है, इस वजह से अब वह कोई सख्त चीज नहीं खा पाता है. जबान की स्वाद ग्रंथियां कीमोथेरैपी की वजह से खत्म हो गई हैं, इसलिए उसे अब खाने के स्वाद का भी पता नहीं चलता है. इन सभी कारणों से उस का खानापीना कम हो गया है. सिर्फ लिक्विड या सैमी लिक्विड खाने से शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है. जिस के चलते एक हृष्टपुष्ट व्यक्ति से जर्जर काया में परिवर्तित हो चुके सुशील को हर वक्त तनाव घेरे रहता है. वह सोचता रहता है कि पता नहीं कितनी जिंदगी बची है.

Diese Geschichte stammt aus der September First 2022-Ausgabe von Sarita.

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