
समाचार अगस्त 2019 का है. सुलतानपुर के एक योगी ने अयोध्या में सीताकुंड घाट पर भू समाधि ली. पहले 10 बाई 10 फुट का गड्ढा खोदा गया. 15 फुट लंबी सुरंग बनाई गई. ऊपर से बल्ली, पटरा, गिट्टी आदि से ढका गया. त्रिशूलों से चारों ओर फेरा बनाया गया और सुरंग से वे समाधि में प्रवेश कर गए और फिर 15 अगस्त को निकले. दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार में वे कितने दिन समाधि में रहे, नहीं बताया गया पर यह जरूर कहा गया कि श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगने लगा जो 24 घंटे आतेजाते रहे.
दिसंबर 2021 में लाइव भारत न्यूज के अनुसार जागरण मलपुरा थाने के क्षेत्र में नाले के निर्माण को ले कर 85 वर्ष की वृद्धा और एक किसान ने गड्डा खोदा और उस में बैठ गए और ऊपर से पटरा डाल दिया गया. तहसीलदार के पहुंचने के बाद समझानेबुझाने पर वे बाहर निकले.
बिहार के मधेपुरा जिले के चौखा थाना क्षेत्र के नाथ बाबा मंदिर के पास प्रमोद बाबा ने 15 दिन की समाधि 6 वर्ष पहले ली थी.
इस प्रकार के समाचार अकसर प्रकाशित होते रहते हैं और हर समाचार में चमत्कार कहा जाता है. आसपास के गांवों से लोग जमा होते हैं. खूब गानाबजाना होता है.
कई साल पहले मध्य प्रदेश के गुना में एक महिला द्वारा 72 घंटों के लिए ली गई भू समाधि चर्चा में रही. कुछ वर्षों पहले रायपुर तथा नागपुर में भी भू समाधि के प्रदर्शन किए गए थे. भू समाधि के इन प्रदर्शनों में एक ही बात बारबार दोहराई जाती रही है कि समाधि की प्रक्रिया में साधक परमात्मा से साक्षात्कार करेगा, साथ ही यह समाधि विश्वशांति, जनकल्याण के लिए समर्पित है. विभिन्न धार्मिक मेलों में, उत्सवों में आप को ऐसे दृश्य देखने को मिल जाएंगे जिन में कोई व्यक्ति नदी के किनारे गरदन तक रेत में धंसा हुआ है तो कोई शीर्षासन, तो कोई एक पैर में तो एक कोई एक हाथ उठाए खड़ा है.
Diese Geschichte stammt aus der September First 2022-Ausgabe von Sarita.
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भाभी, न मत कहना
सुवित को अपने सामने देख समीरा के होश उड़ गए. अपने दिल को संभालना मुश्किल हो रहा था उस के लिए. वक्त कैसा खेल खेल रहा था उस के साथ?

शादी से पहले जब न रहे मंगेतर
शादी से पहले यदि किसी लड़की या लड़के की अचानक मृत्यु हो जाए तो परिवार वालों से अधिक ट्रौमा उस के पार्टनर को झेलना पड़ता है, उसे गहरा आघात लगता है. ऐसे में कैसे डील करें.

पति की कमाई पर पत्नी का कितना हक
पति और पत्नी के बीच कमाई व खर्चों को ले कर कलह जब हद से गुजरने लगती है तो नतीजे किसी के हक में अच्छे नहीं निकलते. बात तब ज्यादा बिगड़ती है जब पति अपने घर वालों पर खर्च करने लगता है. ऐसे में क्या पत्नी को उसे रोकना चाहिए?

अमीरों के संरक्षण व संवर्धन की अभिनव योजना
गरीबों के लिए तो सरकार कई योजनाएं बनाती है लेकिन गरीबों का उद्धार करने वाले अमीरों को क्यों वंचित किया जाए उन के लग्जरी जीवन को और बेहतर बनाने से. समानता का अधिकार तो भई सभी वर्गो के लिए होना चाहिए.

अब वक्फ संपत्तियों पर गिद्ध नजर
मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है और उसे किस तरह उस से छीना जाए, मसजिदों पर पंडों पुजारियों को कैसे बिठाया जाए, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है. इस के लिए एक्ट में संशोधन के बहाने भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए कुछ मुसलिम नेता तो शामिल किए गए लेकिन उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

घर में ही सब से ज्यादा असुरक्षित हैं औरतें
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से बताती है कि महिलाओं के लिए घर ही सब से असुरक्षित स्थान बन चुका है. इस असुरक्षा का समाधान समाज और सरकार की ओर से समग्र दृष्टिकोण अपनाने से ही संभव हो सकता है.

मेहमान बनें बोझ नहीं
घर में मेहमान आते हैं तो चहलपहल बनी रहती है. लेकिन मेहमान अगर मेहमाननवाजी कराने के लिए आएं तो मेजबान के पसीने छूट जाते हैं और उसे चिड़चिड़ाहट होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि मेहमान कुछ एथिक्स का ध्यान रखें.

कहां जाता है दान का पैसा
उज्जैन के महाकाल मंदिर दर्शन घोटाले की एफआईआर अभी दर्ज ही हो रही थी कि नई सनसनी वृंदावन के इस्कौन मंदिर से आई कि वहां भी एक सेवादार करोड़ों का चूना लगा कर भाग गया. ऐसी खबरें हर उस मंदिर से आएदिन आती रहती हैं जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जाहिर है, यह भीड़ भगवान को पैसा चढ़ाने ही आती है जिसे मंदिर के सेवादार झटक लें तो हैरानी किस बात की.

मुफ्त में मनोरंजन अफीम की लत या सिनेमा की फजीहत
बौलीवुड की अधिकतर फिल्में बौक्स ऑफिस पर लगातार असफल हो रही हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचार करने की जगह यह इंडस्ट्री चुनावी नेताओं की तरह बीचबीच में फ्रीबीज की घोषणा कर देती है. इस से हालात क्या सुधर सकते हैं?

जिंदगी अभी बाकी है
जीवन का सफर हर मोड़ पर नए अनुभव और सीखने का मौका देता है. पार्टनर का साथ नहीं रहा, बढ़ती उम्र है, लेकिन जिंदगी खत्म तो नहीं हुई न. इस दौर में भी हर दिन एक नई उमंग और आनंद से जीने की संभावनाएं हैं.