स्टार्टअप इंडस्ट्री भौचक्की रह गई जिस दिन पता चला कि पंखुड़ी और ग्रैबहाउस कंपनियों की मालकिन 32 वर्षीया पंखुड़ी श्रीवास्तव ने आत्महत्या कर ली. वर्ष 2019 में पंखुड़ी ने 32 लाख डौलर की पूंजी एक कंपनी को अपने काम से प्रभावित कर के अपनी कंपनी में लगवाई थी. उस जैसी सफल युवती की कहानी का पूरा पता इंटरनैट पर तो नहीं मिलेगा क्योंकि जो भी असली बात होगी, छिपा दी जाएगी पर आर्थिक संकटों के चलते उस ने आत्महत्या की, ऐसा लगता नहीं.
वर्षों पहले जानीमानी मौडल विवेका बाबाजी की आत्महत्या की घटना के पीछे बेशक कोई किसी रहस्य के छिपे होने की बात करे पर उस की जिंदगी में झांकने के बाद यह साफ हो गया था कि उस जैसी सफल और ग्लैमर की दुनिया की चहेती मौडल ने अकेलेपन से घबरा कर ऐसा कदम उठाया था.
अभिनेत्री परवीन बौबी भी एक दिन अपने घर में मृत पाई गई थीं मशहूर गायिका आशा भोंसले की बेटी वर्षा भोंसले ने अपने अकेलेपन की वजह से उपजे अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली. सबकुछ हासिल करने के बाद भी अनुराधा बाली को आत्महत्या करनी पड़ी. ये तो कुछ नाम हैं पर ऐसी अनगिनत सफल औरतें हैं जिन्होंने सफलता की ऊंचाइयां तो छू ली थीं पर महत्त्वाकांक्षा की अपनी दौड़ में इतने तेज कदमों से भागीं कि बाकी सारे रिश्तेनाते उन की पकड़ से छूट गए. आखिरकार उन के हाथ आया भारी अकेलापन और पीछे छूट गया जिंदगी का पछतावा, जिस की वजह से या तो उन्होंने खुद को समाज से काट कर गुमनामी का रास्ता चुना या फिर आत्हत्या कर ली.
जरूरत होती है प्यार की
सवाल उठता है कि आखिर क्यों इतनी भारी संख्या में सफल, सुंदर और काबिल औरतें कमजोर व अकेलापन महसूस करती हैं? वे सफलता के शीर्ष पर पहुंचने के बावजूद क्यों अपनेआप को इतना असहाय समझती हैं कि डिप्रैशन का शिकार हो जाती हैं और अकसर मौत को अपनी नियति मान स्वीकार कर लेती हैं ? आखिर क्या वजह है कि उन की बाहरी और आंतरिक दुनिया में एक बड़ा फासला होता है और यह फासला ग्लैमर की दुनिया से जुड़ी औरतों के जीवन में कुछ ज्यादा ही लगता है.
Diese Geschichte stammt aus der September First 2022-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September First 2022-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
बौलीवुड और कौर्पोरेट का गठजोड़ बरबादी की ओर
क्या बिना सिनेमाई समझ से सिनेमा से मुनाफा कमाया जा सकता है? कौर्पोरेट जगत की फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती हिस्सेदारी ने इस सवाल को हवा दी है. सिनेमा पर बढ़ते कौर्पोरेटाइजेशन ने सिनेमा पर कैसा असर छोड़ा है, जानें.
यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
कुछ नया बनाने के चक्कर में मिसेज यूट्यूब छान मारती हैं और इधर हम 'आजा वे माही तेरा रास्ता उड़ीक दियां...' गाना गाते रसोई की ओर टकटकी लगाए इंतजार में बैठे हैं कि शायद अब कुछ खाने को मिल जाए.
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.
बढ़ रहे हैं ग्रे डिवोर्स
आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.