हाउसिंग सोसाइटी में अविवाहित बैचलर्स पर रोक क्यों
Sarita|October First 2022
कोई संवैधानिक नियम यह नहीं कहता कि हाउसिंग सोसाइटी में बैचलर्स को किराए पर मकान नहीं दिया जा सकता, फिर सोसाइटी में ऐसे उपनियम बना कर क्यों अविवाहितों को मकान किराए पर नहीं दिया जाता?
संजय पांडे
हाउसिंग सोसाइटी में अविवाहित बैचलर्स पर रोक क्यों

कई मकान मालिकों का कुंआरे या अकेले रह रहे लोगों को घर किराए पर देने का अनुभव अच्छा होता है. साथ ही, कुंआरे लोगों को किराए पर फ्लैट लेना मालिक के लिए अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि वे आपस में खर्चों को विभाजित कर के अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं. लेकिन शहरों में हाउसिंग सोसाइटी अकसर यह नियम बनाती है कि कोई भी मकान मालिक किसी अविवाहित पुरुष या महिला को रूम नहीं देगा.

सोसाइटी वालों को शायद बैचलर्स का बुरा अनुभव है. लड़कियों या लड़कों को लाना, शराब पीना, देररात पार्टी करना या सुरक्षा गार्डों से बहस करना, अपराधी होने का अंदेशा होने आदि बहानों से घर किराए पर देने से रोकते हैं. फ्लैट मालिकों की भी आमतौर पर यह धारणा होती है कि अगर कोई परिवार फ्लैट में रहता है तो वह फ्लैट की बेहतर देखभाल करेगा. इस के अलावा, समाज और पड़ोसियों से कोई शिकायत नहीं होगी.

नतीजतन कई पढ़ेलिखे और अच्छी पार्श्व भूमि के लोग भी जब शहर में शिक्षा या रोजगार के लिए आते हैं तो उन के साथ दुर्व्यवहार और अपमान का बरताव किया जाता है तो सवाल यह उठता है कि अगर समाज की पुलिसगीरी करने वाले लोग यदि उन्हें कई पूर्वाग्रहों के आधार पर रहने नहीं देंगे तो ये लोग कहां जाएंगे? मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, ठाणे और चेन्नई जैसे शहरों में आने वाले नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए छात्रावासों की संख्या बहुत कम है और पर्याप्त नहीं है.

क्या यह नियम कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं? नहीं. पुलिस सत्यापन और सभी कानूनी दस्तावेज होने पर उन्हें जाति, धर्म, पंथ या लिंग के आधार पर फ्लैट किराए पर लेने से कोई नहीं रोक सकता. सोसाइटी के सदस्यों को नैतिक पुलिसिंग का कोई अधिकार नहीं है. कुछ चुनिंदा लोगों के व्यवहार को मानक मान कर मानदंड नहीं बनाए जा सकते. कानून के सरल शब्दों में, घर का स्वामित्व सोसाइटी के पास नहीं, बल्कि फ्लैट मालिक के पास होता है. इसलिए घर किसे किराए पर वह दे, इस में सोसाइटी अड़ंगा नहीं डाल सकती.

Diese Geschichte stammt aus der October First 2022-Ausgabe von Sarita.

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