यह एक चौका देने वाला तथ्य है कि पिछले 2 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार भारत में 70 हजार से अधिक महिलाओं की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर के कारण हुई है. इन में से अधिकतर महिलाओं की मृत्यु का कारण सर्वाइकल कैंसर, उस के लक्षण, बचाव व सही समय पर इलाज की सही जानकारी का अभाव होना है. यदि सही समय पर लक्षणों पर गौर किया जाए और सही निर्देशानुसार इलाज किया जाए तो सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु के आंकड़ों में गिरावट लाई जा सकती है.
गर्भाशय के मुख्य द्वार को सर्विक्स कहा जाता है. सर्विक्स में सैल्स की अनियमित वृद्धि को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है. यह कैंसर सर्विक्स में हयूमन पेपीलोमा वायरस यानी एचपीवी के कारण होता है.
आज पूरी दुनिया में 10 में से एक महिला सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित है. बीमारी और इलाज संबंधी जानकारी के अभाव में यह खतरनाक बीमारी महिलाओं के लिए जानलेवा बनती जा रही है. यह बीमारी 40 साल या इस से अधिक आयु की महिलाओं में अधिक होती है.
सर्विक्स यूट्रस के मुखद्वार के ऊपर स्थित होता है. इसे यूट्रस की बच्चेदानी का मुख्य द्वार भी कहा है. जाता जैसेजैसे सर्विक्स में कैंसर फैलता है, वह ऊपर की तरफ यूट्रस में या फिर नीचे की तरफ योनि में नीचे फैलना शुरू हो जाता है. यह मुख्यतया एचपीवी के कारण होता है. सामान्य तौर पर इस वायरस की 2 वैराइटीज नंबर 16 और 18 सर्वाइकल कैंसर पैदा करती हैं. 99.7 फीसदी केसों में सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी जिम्मेदार होता है.
• हाई रिस्क पार्टनर, हिस्ट्री औफ सैक्सुअली स्थानांतरित बीमारी वाले व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
• यह खतरनाक बीमारी मल्टीपल पार्टनर्स के साथ सैक्सुअल एक्टिविटीज करने की वजह से होती है.
• इक्युनो सप्रेशन या एड्स के कारण इम्यूनिटी कम हो जाती है जिस से सर्वाइकल कैंसर की आशंका बढ़ जाती है.
Diese Geschichte stammt aus der November First 2022-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November First 2022-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
बौलीवुड और कौर्पोरेट का गठजोड़ बरबादी की ओर
क्या बिना सिनेमाई समझ से सिनेमा से मुनाफा कमाया जा सकता है? कौर्पोरेट जगत की फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती हिस्सेदारी ने इस सवाल को हवा दी है. सिनेमा पर बढ़ते कौर्पोरेटाइजेशन ने सिनेमा पर कैसा असर छोड़ा है, जानें.
यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
कुछ नया बनाने के चक्कर में मिसेज यूट्यूब छान मारती हैं और इधर हम 'आजा वे माही तेरा रास्ता उड़ीक दियां...' गाना गाते रसोई की ओर टकटकी लगाए इंतजार में बैठे हैं कि शायद अब कुछ खाने को मिल जाए.
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.
बढ़ रहे हैं ग्रे डिवोर्स
आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.