संघर्ष से हताश होने के बजाय सतत मेहनत करते हुए अपने हुनर को तलाशते रहना ही रहना ही मशहूर संगीतकार रोहित शर्मा की सफलता का मूल मंत्र रहा है. रोहित शर्मा दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद संगीतकार बनने के मकसद से मुंबई आए. पूरे 7 साल तक उन्हें जबरदस्त संघर्ष करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
आखिरकार उन्हें 2009 में आनंद गांधी की फिल्म 'शिप औफ थीसियस' को संगीत से संवारने का अवसर मिला. उन्होंने इस फिल्म का गीत 'नहम जनामी...' लिखा भी था, फिर उन्होंने 'बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम' के लिए 10 गीतों को संगीत से संवारा जिन में फैज अहमद फैज और ब्लूज द्वारा ट्राइबल ब्लूज, फोक रौक और रौक ओपेरा से ले कर नज्म तक विविध संगीत को पिरोया.
फिल्म के साउंडट्रैक में उन्होंने जैज म्यूजिक ट्रैक का भी उपयोग किया. उस बीच, उन्होंने 'शौर्टकट सफारी' और 'बेयरफुट टू गोवा' के लिए भी संगीत तैयार किया. मगर वे चर्चा में आए फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' को संगीत से संवारने के बाद फिर फिल्म 'कलर्स औफ लाइफ' को संगीत दिया. हालिया प्रदर्शित सफलतम फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के भी संगीतकार रोहित शर्मा ही हैं. यहां पेश हैं उन से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:
रोहित शर्मा संगीत को ले कर अपनी पृष्ठभूमि के बारे में कहते हैं, "मेरे घर में संगीत का कोई माहौल नहीं रहा. लेकिन मेरी दादी बहुत अच्छा गाती थीं. गांव में ब्याहशादी के अवसर पर वे गाया करती थीं. आसपड़ोस के लोग भी उन्हें गाने के लिए बुलाते थे. वे मुझे बचपन में कहानियां भी गा कर सुनाती थीं. उन का मेरे ऊपर काफी प्रभाव रहा. इस के अलावा कोई संगीत का माहौल नहीं था.
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