ट्विटर खरीदने के बाद से दुनिया के दूसरे सब से रईस शख्स एलन मस्क दौलत के मामले में लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. एलन मस्क की संपत्ति घटती जा रही है. हालात ऐसे हो गए हैं कि मस्क अपनी इलैक्ट्रौनिक कार कंपनी टेस्ला के शेयर बेच रहे हैं. मस्क अब तक एक साल में टेस्ला के 40 अरब डौलर के शेयर बेच चुके हैं.
ताजा आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 3 दिनों में वे 22 मिलियन डौलर यानी 2.2 करोड़ शेयर बेच चुके हैं जिन की कीमत करीब 3.6 बिलियन डौलर है. उन्होंने टेस्ला के 94,202,321 शेयर औसतन 243.46 डौलर प्रति शेयर के हिसाब से बेचे हैं. इस से पहले एलन मस्क ने 28 अप्रैल को सोशल मीडिया के जरिए ही घोषणा की थी कि टेस्ला को बेचने की उन की कोई योजना नहीं है.
उलझाया यूजर्स को
ट्विटर को खरीदने के बाद एलन मस्क ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वे अपने बिजनैस को बचाने के लिए टेस्ला के शेयर्स को बेच रहे हैं जबकि उन की गलत नीतियों की वजह से ट्विटर की हालत ऐसी हुई है.
कंपनी के शेयर 2.6 फीसदी गिर कर 156.80 पर पहुंच गए. कंपनी का मार्केट कैपिटल 495 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. कंपनी के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं. एलन मस्क की संपत्ति में लगातार गिरावट होने की वजह से उन से दुनिया के सब से अमीर शख्स का ताज छिन गया है.
एक समय उन के पास 340 अरब डौलर की दौलत थी जो एक अनुमान के अनुसार एक साल में 100 मिलियन गिर कर 163.1 अरब डॉलर रह गई है.
वहीं, बर्नार्ड अर्नोल्ट की नैटवर्थ में बढ़ोतरी हुई है. उन की कुल संपत्ति 170.6 अरब डौलर पर पहुंच गई है. फैशन कंपनी एलवीएमएच के मालिक बर्नार्ड ने एलन मस्क से सब से अमीर शख्स का ताज छीन लिया है जो उन के लिए शोचनीय बन गया है.
अपनी गलत नीतियों से खुद को बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया जबकि वे खुद उस में फंस गए हैं. एलन मस्क ने ट्विटर पर एक पोल चलाया. उस में उन्होंने यूजर्स से पूछा कि उन्हें सीईओ के पद से इस्तीफा देना चाहिए या नहीं. अब पोल के नतीजे सामने आ गए हैं लेकिन यह पोल मस्क के लिए भारी साबित हुआ है. इस पोल में मस्क को हार का सामना करना पड़ा है.
Diese Geschichte stammt aus der January Second 2023-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January Second 2023-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
बौलीवुड और कौर्पोरेट का गठजोड़ बरबादी की ओर
क्या बिना सिनेमाई समझ से सिनेमा से मुनाफा कमाया जा सकता है? कौर्पोरेट जगत की फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती हिस्सेदारी ने इस सवाल को हवा दी है. सिनेमा पर बढ़ते कौर्पोरेटाइजेशन ने सिनेमा पर कैसा असर छोड़ा है, जानें.
यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
कुछ नया बनाने के चक्कर में मिसेज यूट्यूब छान मारती हैं और इधर हम 'आजा वे माही तेरा रास्ता उड़ीक दियां...' गाना गाते रसोई की ओर टकटकी लगाए इंतजार में बैठे हैं कि शायद अब कुछ खाने को मिल जाए.
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.
बढ़ रहे हैं ग्रे डिवोर्स
आजकल ग्रे डिवोर्स यानी वृद्धावस्था में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जीवन की लंबी उम्र, आर्थिक स्वतंत्रता और बदलती सामाजिक धारणाओं ने इस ट्रैंड को गति दी है.
ट्रंप की दया के मुहताज रहेंगे अडानी और मोदी
मोदी और अडानी की दोस्ती जगजाहिर है. इस दोस्ती में फायदा एक को दिया जाता है मगर रेवड़ियां बहुतों में बंटती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि नादान की दोस्ती जी का जंजाल बन जाती है और यही गौतम अडानी व नरेंद्र मोदी की दोस्ती के मामले में लग रहा है.
विश्वगुरु कौन भारत या चीन
चीन काफी लंबे समय से तमाम विवादों से खुद को दूर रख रहा है जिन में दुनिया के अनेक देश जरूरी और गैरजरूरी रूप से उलझे हुए हैं. चीन के साथ अन्य देशों के सीमा विवाद, सैन्य झड़पों या कार्रवाइयों में भारी कमी आई है. वह इस तरफ अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता. इस वक्त उस का पूरा ध्यान अपने देश की आर्थिक उन्नति, जनसंख्या और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की तरफ है.
हिंदू एकता का प्रपंच
यह देहाती कहावत थोड़ी पुरानी और फूहड़ है कि मल त्याग करने के बाद पीछे नहीं हटा जाता बल्कि आगे बढ़ा जाता है. आज की भाजपा और अब से कोई सौ सवा सौ साल पहले की कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है. हिंदुत्व के पैमाने पर कौन से हिंदूवादी आगे बढ़ रहे हैं और कौन से पीछे हट रहे हैं, आइए इस को समझने की कोशिश करते हैं.