जोड़ो यात्रा - कट्टरता की तोड़ पर फैविकोल
Sarita|February First 2023
देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है. आम लोगों को समझ नहीं आ रहा कि दिक्कत कहां और कैसी है. ऐसे में राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा लोगों को एक आश्वासन देने में सफल रही है. इस यात्रा की पौलिटिक्स क्या है और यह कितनी प्रभावी रही, जानें आप भी.
भारत भूषण श्रीवास्तव
जोड़ो यात्रा - कट्टरता की तोड़ पर फैविकोल

दिनांक 3 जनवरी, 2023. स्थान-गाजियाबाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लोकसभा सदस्य राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा एक ब्रेक के बाद उत्तर प्रदेश में दाखिल हुई तो वहां पार्टी के कई नेता व कार्यकर्ता यात्रा का स्वागत करने को खड़े थे. उन में प्रियंका गांधी भी थीं, जिन्हें देख राहुल भावुक हो गए. मंच पर राहुल अपनी इकलौती छोटी बहन के प्रति लाड़ छिपा न पाए और उन्हें प्यार से चूम लिया.

इसी दौरान वे प्रियंका से बात करते, उन से हंसीमजाक भी करते रहे. आखिर, बहुत दिनों बाद जो मिल रहे थे. किसी और के लिए यह कुछ भी हो लेकिन कांग्रेसियों के लिए यह बहुत ही जज्बाती दृश्य था. थकेहारे बड़े भाई ने अपनी छोटी लाड़ली बहन के प्रति प्यार जता कर कौन सा गुनाह कर दिया था, इसे समझने के लिए कुछ भाजपा नेताओं के बयानों पर गौर करना जरूरी है ताकि यह पता चल सके कि नफरत में गलेगले तक डूबे लोग किस हद तक गिर सकते हैं.

विकृत और दूषित मानसिकता क्या होती है और किस किस्म के लोगों में पाई जाती है, इस का नमूना पेश किया उत्तर प्रदेश के एक मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने, जिन्होंने कहा, "अनजान बच्चे कर सकते हैं, दोचार साल के बच्चे इस तरह से चुंबन कर सकते हैं लेकिन आप 50 साल की उम्र में ऐसा कर रहे हैं. यह सब भारतीय संस्कार, संस्कृति में नहीं है कि कोई भाई अपनी बहन का इस तरह से भरी सभा में चुंबन ले. सनातन संस्कृति में हर चीज के नियम निर्धारित हैं. मैं कहता हूं, आरएसएस कौरव है तो आप किसी दशा में पांडव नहीं हो सकते." 

कभी रायबरेली में गांधीनेहरू परिवार के करीबी रहे इस नेता के मुंह से जो सड़ांध निकली उस से कई बातें समझ आईं. उन में पहली यह है कि भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी भगवा गैंग को हजम नहीं हो रही थी जो उस ने अपने दिमाग में भरी गंदगी को शब्द देने को इस पूर्व कांग्रेसी को चुना. दूसरी बात यह कि सनातनी नियम / धरम आप पर यह बंदिश भी लगाते हैं कि अपनी बहन, मां, बेटी के प्रति प्यार जताने के तौरतरीके उन के संविधान से सीखें तीसरी अहम बात यह कि आप अगर आरएसएस पर उंगली उठाने की जुर्रत करेंगे तो आप पर किसी भी तरह का कीचड़ उछालने से गुरेज परहेज नहीं किया जाएगा. कुछ भी बोलने या कहने से पहले संस्कृति के इन ठेकेदारों की इजाजत जरूरी है, वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहिए.

Diese Geschichte stammt aus der February First 2023-Ausgabe von Sarita.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der February First 2023-Ausgabe von Sarita.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS SARITAAlle anzeigen
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
Sarita

"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली

'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.

time-read
3 Minuten  |
November Second 2024
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
Sarita

पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों

पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.

time-read
7 Minuten  |
November Second 2024
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
Sarita

शादी से पहले बना लें अपना आशियाना

कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.

time-read
6 Minuten  |
November Second 2024
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
Sarita

ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज

बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.

time-read
3 Minuten  |
November Second 2024
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
Sarita

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.

time-read
8 Minuten  |
November Second 2024
एमआरपी का भ्रमजाल
Sarita

एमआरपी का भ्रमजाल

एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.

time-read
4 Minuten  |
November Second 2024
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
Sarita

कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो

कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.

time-read
6 Minuten  |
November Second 2024
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
Sarita

कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश

कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.

time-read
10 Minuten  |
November Second 2024
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita

1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.

time-read
6 Minuten  |
November Second 2024
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
Sarita

अमेरिका अब चर्च का शिकंजा

दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.

time-read
4 Minuten  |
November Second 2024