शहरों में रहने वाली दलित लड़कियां भी अब पढ़लिख कर आगे बढ़ने लगी हैं. वे भी चाहती हैं कि उन की शादी रीतिरिवाज और धूमधाम से हो. उन की शादी में भी दानदहेज, चढ़ावा, दिखावा सबकुछ हो. इस से उन को समाज में बराबरी का एहसास होता है. लड़कियों को लगता है कि शादी के रीतिरिवाज, धूमधाम और बैंडबाजाबरात के दिखावे में दलितों के साथ भेदभाव वाले विचार खत्म हो जाएंगे. लेकिन दलितों में होने वाली महंगी शादियों से भेदभाव और दलितों के खिलाफ वाली सोच खत्म नहीं हो रही. जबकि, दलित लड़कियों की महंगी शादियों से उन के घरपरिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ने लगा है.
सामाजिक दबाव में जिन के पास पैसा नहीं होता वे कर्ज ले कर या जमीन बेच कर खर्च करने लगे हैं. दहेज जैसी कुरीतियां अब यहां भी घर करने लगी हैं. शादी के रीतिरिवाजों के साथ दलित शादियों में भी पूजापाठ बढ़ने लगा है. इसी पूजापाठ के विरोध में दलितों ने कभी बौद्ध धर्म स्वीकार किया था. समय के साथ साथ बौद्ध धर्म में भी ऐसे ही कर्मकांड होने लगे हैं. रीतिरिवाजों से धार्मिक कुरीतियों और रूढ़िवादिता बढ़ने लगी है जो दलित समाज के लिए एक धब्बा नहीं है. शादी जीवन को चलाने का एक अरेंजमैंट है. इस को इतना ही महत्त्व देने की जरूरत है. रीतिरिवाजों, कर्मकांड और पाखंड व्यवस्था को जटिल बना कर पंडोपुरोहितों को चढ़ावा चढ़ाने के लिए मजबूर करते हैं.
26 मार्च, 2023 को बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर और बसपा प्रमुख मायावती के भजीते आकाश आनंद की शादी के लिए गुरुग्राम के एंबिएंस डौट रिजौर्ट को भव्य रूप दिया गया था. आकाश आनंद मायावती के सब से छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. बापबेटे दोनों ही बसपा में प्रमुख पदाधिकारी हैं. रिजौर्ट की सजावट, विशेष तौर पर, फूलों से की गई थी. इन फूलों को देश के विभिन्न हिस्सों से मंगाया गया था.
Diese Geschichte stammt aus der May Second 2023-Ausgabe von Sarita.
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