अनिता 25 साल की अनमैरिड युवती है. उस के घर में एक छोटी बहन रुचि, जिस की उम्र 15 साल है, भी रहती है जो 9वीं क्लास में पढ़ती है और एक वृद्ध मां है. उस के पिता की मौत 5 वर्षों पहले हो गई थी. किसी तरह छोटामोटा काम कर के उस की मां ने उन्हें पालपोस कर बड़ा किया. अपनी पढ़ाई पूरी करते ही अनिता जौब करने लगी. रुचि की पढ़ाई और घर का सारा खर्चा उस ने अपने नाजुक कंधों पर ले लिया. इसी बीच अचानक उस की मां की तबीयत खराब हुई और वह बीमार रहने लगी. मां की खराब हालत देख कर अनिता ने उन्हें जौब छोड़ कर घर पर आराम करने की हिदायत दी.
रिश्तेदारों ने तो पिता की मौत होते ही अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए थे. अनिता की मां हर वक्त सिर्फ यह सोचती रहती है कि अगर अनिता शादी कर के अपने घर चली जाएगी तो उन का घरखर्च कैसे चलेगा, वे क्या खाएंगे, कैसे रहेंगे. इन सब सवालों ने उसे परेशान कर रखा है. शायद इसलिए वह अनिता की शादी नहीं कराना चाहती. उसे लगता है कि अनिता की शादी होने पर घरखर्च के लिए आय का सोर्स खत्म हो जाएगा. इसलिए उस के लिए आने वाले रिश्तों को वह इग्नोर कर देती है. ऐसा कर के उस ने केवल अपनी जरूरतों को देखा अनिता की जरूरत को नहीं. अनिता क्या चाहती है, यह उस ने कभी सोचा ही नहीं. उसे बस, यही था कि अनिता जिंदगीभर उस का और रुचि की जरूरतों का खयाल रखती रहे.
केवल अनिता ही अकेली ऐसी लड़की नहीं है जिस की शादी में देरी हो रही है. आजकल ऐसे बहुत से लड़के लड़कियां है जो इस प्रॉब्लम को फेस कर रहे हैं. इस का कारण है उन का घर का एकमात्र सहारा होना या कहें कि वे घर के खर्च की सारी जिम्मेदारी उठाते हैं. ऐसे लोगों को एक तरह से इमोशनल ब्लैकमेल किया जाता है, जैसे 'तुम शादी कर लोगे या लोगी तो तुम्हारे भाईबहनों का क्या होगा, उन का खयाल कौन रखेगा, हमारा गुजारा कैसे होगा ?' वगैरहवगैरह.
Diese Geschichte stammt aus der July-I 2023-Ausgabe von Sarita.
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