
31 जुलाई को 'कहानी सम्राट' के खिताब से नवाजे गए साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती देशभर के रचनाकारों ने जैसे भी हो सका, मनाई थी. मुमकिन है मौजूदा कई रचनाकारों को भी यह इल्म न होगा कि प्रेमचंद घोर अनास्थावादी और नास्तिक थे. उन की जिस खूबी के लिए उन्हें याद किया जाता है उसे आजकल की जबां में एक शब्द वामपंथ से व्यक्त किया जा सकता है या सहूलियत के लिए उन्हें अर्बन नक्सली भी कहा जा सकता है.
मोदी सरनेम वाले मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से जो राहत मिली है उस का प्रेमचंद से इतना ही लेनेदेना है कि इस अंतरिम राहत या टैंपरेरी स्टे से उन की कहानी 'पंच परमेश्वर' याद हो आई जिस का सार इतना है कि इंसाफ की कुरसी बैठने पर वाला 31 जुलाई सबकुछ आखिरकार भूलभाल कर इंसाफ ही करता है. यही मानवीय स्वभाव है, बशर्ते इंसाफ की कुरसी दोस्ती, दुश्मनी और रिश्तेदारी को किनारे कर पाने में समर्थ हो. इसे ही कांग्रेसी और नवनिर्मित संयुक्त विपक्ष 'इंडिया' के तमाम नेता लोकतंत्र और न्यायपालिका की जीत करार दे रहे हैं.
इस मामले में घोषित तौर पर कोई जुम्मन शेख, अलगू चौधरी नहीं था, न ही कोई खाला और साहू थे. थे तो बस, राहुल गांधी, जो बेहद सधे ढंग और सब्र से इस मुकदमे को अदालतदरअदालत लड़ रहे थे जो एक बहुत बड़ा रिस्क भी सियासी लिहाज से था. हालांकि अभी पूरी तरह जीते नहीं हैं लेकिन 4 अगस्त का यह फौरी फैसला सियासी लिहाज से ही किसी जीत से कमतर नहीं, जिस पर भरे सावन में देशभर के कांग्रेसियों ने आतिशबाजी चला और जला कर दीवाली मनाई.
Diese Geschichte stammt aus der August Second 2023-Ausgabe von Sarita.
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भाभी, न मत कहना
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शादी से पहले जब न रहे मंगेतर
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अमीरों के संरक्षण व संवर्धन की अभिनव योजना
गरीबों के लिए तो सरकार कई योजनाएं बनाती है लेकिन गरीबों का उद्धार करने वाले अमीरों को क्यों वंचित किया जाए उन के लग्जरी जीवन को और बेहतर बनाने से. समानता का अधिकार तो भई सभी वर्गो के लिए होना चाहिए.

अब वक्फ संपत्तियों पर गिद्ध नजर
मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है और उसे किस तरह उस से छीना जाए, मसजिदों पर पंडों पुजारियों को कैसे बिठाया जाए, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है. इस के लिए एक्ट में संशोधन के बहाने भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए कुछ मुसलिम नेता तो शामिल किए गए लेकिन उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

घर में ही सब से ज्यादा असुरक्षित हैं औरतें
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से बताती है कि महिलाओं के लिए घर ही सब से असुरक्षित स्थान बन चुका है. इस असुरक्षा का समाधान समाज और सरकार की ओर से समग्र दृष्टिकोण अपनाने से ही संभव हो सकता है.

मेहमान बनें बोझ नहीं
घर में मेहमान आते हैं तो चहलपहल बनी रहती है. लेकिन मेहमान अगर मेहमाननवाजी कराने के लिए आएं तो मेजबान के पसीने छूट जाते हैं और उसे चिड़चिड़ाहट होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि मेहमान कुछ एथिक्स का ध्यान रखें.

कहां जाता है दान का पैसा
उज्जैन के महाकाल मंदिर दर्शन घोटाले की एफआईआर अभी दर्ज ही हो रही थी कि नई सनसनी वृंदावन के इस्कौन मंदिर से आई कि वहां भी एक सेवादार करोड़ों का चूना लगा कर भाग गया. ऐसी खबरें हर उस मंदिर से आएदिन आती रहती हैं जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जाहिर है, यह भीड़ भगवान को पैसा चढ़ाने ही आती है जिसे मंदिर के सेवादार झटक लें तो हैरानी किस बात की.

मुफ्त में मनोरंजन अफीम की लत या सिनेमा की फजीहत
बौलीवुड की अधिकतर फिल्में बौक्स ऑफिस पर लगातार असफल हो रही हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचार करने की जगह यह इंडस्ट्री चुनावी नेताओं की तरह बीचबीच में फ्रीबीज की घोषणा कर देती है. इस से हालात क्या सुधर सकते हैं?

जिंदगी अभी बाकी है
जीवन का सफर हर मोड़ पर नए अनुभव और सीखने का मौका देता है. पार्टनर का साथ नहीं रहा, बढ़ती उम्र है, लेकिन जिंदगी खत्म तो नहीं हुई न. इस दौर में भी हर दिन एक नई उमंग और आनंद से जीने की संभावनाएं हैं.