यूरिनरी इनकंटिनेंस या ब्लैडर पर से नियंत्रण खत्म हो जाना एक प्रकार का न्यूरोलोजिकल डिसऑर्डर है जिस कारण शर्मसार होना पड़ सकता है. इस का समाधान बोटुलिनम टौक्सिन ए (बीओएमटी) के इस्तेमाल से हो जाता है.
55 वर्षीया सविता ने अपनी बाकी बची जिंदगी देशभर की यात्रा करने और अपने ट्रैवलौग को पूरा करने के लिए 50 वर्ष की उम्र में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. लेकिन न्यूरोलौजिकल स्थिति में गड़बड़ी से उपजी पेशाब करने की न्यूरोलौजिकल डिसऑर्डर की समस्या ने उन की योजनाओं और सपनों को चूरचूर कर दिया.
यूरिनरी इनकंटिनैंस से ग्रसित होने का मतलब है कि उन का अपने ब्लैडर से नियंत्रण खत्म हो चुका था और उन्हें बारबार पेशाब करने की नौबत आ जाती थी. लिहाजा, सविता को ज्यादातर वक्त अपने घर में ही बिताना पड़ गया. दवाइयों से उन की इस स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पाया. अपनी जिंदगी से निराश हो चुकीं सविता अवसाद की स्थिति से गुजरने लग गईं.
सविता जैसे लोगों को अब अपनी जिंदगी में आश्चर्यजनक सुधार लाने की उम्मीद जग गई है. कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं जिन से उन्हें ऐसी न्यूरोलोजिकल स्थिति पर काबू पाने में मदद मिल सकती है और उन की जिंदगी फिर से सामान्य हो सकती है. हालांकि इस उपाय से समस्या जड़ से तो खत्म नहीं होती लेकिन इस इलाज से मरीजों को सामान्य जिंदगी जीने के लिए 10 महीनों तक राहत मिल सकती है.
कमजोर न्यूरोलौजिकल डिसऑर्डर यानी यूरिनरी इनकंटिनैंस से देश के बहुत सारे लोग पीड़ित हैं. इस समस्या से उन की जिंदगी पूरी तरह अस्तव्यस्त हो सकती है. इस समस्या से न सिर्फ लोगों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है बल्कि उन्हें लंबी यात्रा पर जाने में हिचकिचाहट भी होती है और इसलिए इस से पीड़ित व्यक्ति ज्यादातर समय घर की चारदीवारियों में ही बिताना पसंद करते हैं. कुछ लोगों में तो इस से होने वाली असुविधा और शर्मिंदगी हद से ज्यादा स्तर तक पहुंच जाती है.
Diese Geschichte stammt aus der August First 2023-Ausgabe von Sarita.
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