पीठ पर लदे सपने हुए राख
Sarita|February Second 2024
डिलीवरी बौयज के रूप में युवाओं की एक बड़ी संख्या ऐसे काम में अपनी जवानी झोंक रही है जिसे एक तरफ समाज हिकारत की नजर से देखता है तो दूसरी तरफ इस तरह की नौकरी कुछ सालों की ही होती है. इस में न तो बहुत ज्यादा आमदनी है, न प्रोविडेंट फंड, न पैंशन और न ही हैल्थ बीमा.
नसीम अंसारी कोचर
पीठ पर लदे सपने हुए राख

'यार, डिलीवरी बौय अभी तक पिज्जा ले कर नहीं आया. आधे घंटे से ऊपर हो गया है. आज तो पक्का हमारे पैसे बचेंगे. आज मुफ्त पिज्जा खाने का मौका मिला है,' श्याम ने उत्साहित हो कर कहा.

'अभी 2 मिनट ही ऊपर हुए हैं,' रीना ने जवाब दिया, पर इस से पहले कि श्याम कुछ बोलता, दरवाजे की घंटी बजी और पिज्जा वाला और्डर ले कर हाजिर हो गया.

श्याम ने गुस्से में दरवाजा खोला और पिज्जा वाले पर चिल्ला कर बोला, 'कितनी देर से और्डर दिया हुआ है. तू अब ले कर आया है. आधे घंटे का टाइम ओवर हो गया है. इस और्डर के कोई पैसे नहीं मिलेंगे.'

पिज्जा वाला गिड़गिड़ाया, 'सर, बस 2 मिनट ऊपर हुए हैं. आप ने गली नंबर नहीं बताया था, इसलिए मकान ढूंढ़ने में 2 मिनट की देरी हुई. प्लीज पेमैंट कर दीजिए वरना मेरा नुकसान हो जाएगा.'

श्याम ने उस के हाथ से पैकेट छीना और धड़ से दरवाजा उस के मुंह पर बंद कर दिया. बेचारा पिज्जा वाला काफी देर तक उन के दरवाजे पर खड़ा रहा. कई बार घंटी बजाई. मगर श्याम और रीना ने दरवाजा नहीं खोला.

ऐसी घटनाएं डिलीवरी बौयज के साथ आएदिन घटती हैं. तय समय के अंदर फूड पैकेट डिलीवर करने के चक्कर में कई बार ये डिलीवरी बॉयज इतनी तेज रफ्तार में बाइक चलाते हैं कि ऐक्सिडेंट हो जाते हैं, लोगों से झगड़ा हो जाता है या वे ट्रैफिक नियम तोड़ देते हैं. कई बार सामान और्डर करने वाले लोग अपना पता ठीक नहीं बताते तो डिलीवरी बौय को जगह ढूंढ़ने में वक्त लगता है, ऐसे में उन्हें गालियां खानी पड़ती हैं.

डिलीवरी बौयज के साथ लोग अछूतों जैसा व्यवहार करते हैं. उन के साथ गालीगलौज तो बहुत आम हो गया है. अमीरों की ऐयाशियों को पूरा करता डिलीवरी बौयज का वर्ग समाज में पैदा हो गया है जिसे लोग बड़ी हिकारत की दृष्टि से देखते हैं. वे इन्हें मजदूर से ज्या अहमियत नहीं देते, जबकि कई डिलीवरी बौयज उच्च शिक्षा प्राप्त भी होते हैं.

बड़ीबड़ी इंटरनैशनल कंपनियों ने औनलाइन शौपिंग के जरिए एक ऐसे समाज का सृजन किया है जो अब खानेपीने की चीजों के लिए बाजार जाना पसंद नहीं करता है. वह तो आराम से घर बैठ कर टीवी देखता हुआ अपनी सुविधा और समय के अनुसार औनलाइन खाना और्डर करता है. अब कोई हलवाई के वहां जा कर समोसे नहीं खरीदता, बल्कि फोन पर और्डर दे कर मोमोज मंगाता है.

Diese Geschichte stammt aus der February Second 2024-Ausgabe von Sarita.

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