मोटापे का मतलब है शरीर में अतिरिक्त चरबी या फैट का जमा होना और यह चरबी शरीर पर बाहर दिखने के साथसाथ अंदरूनी हिस्सों को भी चपेट में ले लेती है. पसलियों के आसपास त्वचा एक इंच से ज्यादा खिंचने लगे तो हम इसे बेली फैट या पेट की चरबी कहते हैं जो ठीक त्वचा के नीचे होती है. इस के अलावा यह हमारे अंदरूनी अंगों, लिवर, पैंक्रियाज और आंतों के इर्दगिर्द भी इकट्ठा होती है. महत्त्वपूर्ण अंदरूनी अंगों के आसपास चरबी सेहत पर असर डाल सकती है. हालांकि त्वचा की फैट के मुकाबले आंत पर चरबी ज्यादा तेजी से बनती है और ज्यादा तेजी से कम भी होती है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी एनएफएचएस ने 2019-21 में पेट के मोटापे का आकलन किया. इस अध्ययन में देश में पेट के मोटापे की व्यापकता महिलाओं में 40 फीसदी और पुरुषों में 12 फीसदी पाई गई. निष्कर्षों से पता चलता है कि 30-49 वर्ष की आयु के बीच की 10 में से 5-6 महिलाएं पेट के मोटापे से ग्रस्त हैं. महिलाओं में पेट का मोटापा अधिक आयु वर्ग, शहरी निवासियों, धनी वर्गों और मांसाहारियों में ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह समस्या मौजूद है और यह समाज के निचले व मध्यम सामाजिक-आर्थिक वर्गों में ज्यादा है.
खतरे का संकेत है आदमियों का बढ़ता पेट
Diese Geschichte stammt aus der February Second 2024-Ausgabe von Sarita.
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