बिना शादी किए पतिपत्नी की तरह साथ रह रहे जोड़ों यानी लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले पार्टनर्स को शादीशुदा जोड़ों की तरह अधिकार नहीं मिलते हैं. कई मामलों में ऐसे जोड़ों को शादीशुदा जोड़ों के मुकाबले कानूनी तौर पर कम अधिकार मिलते हैं. खासतौर पर उन के बच्चों की कस्टडी के मामले में अनिश्चितता रहती है.
एक महिला शादी के एक साल बाद ही अपने पति से अलग हो गई और अपने बौयफ्रैंड के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी. इसी दौरान वह प्रैग्नेंट भी हो गई. खास बात यह कि उस ने अब तक अपने पति से तलाक नहीं लिया था. यानी कानूनी तौर पर वह शादीशुदा थी और पति से अलग अपने पुरुषमित्र के साथ रह रही थी.
अस्पताल में उस ने एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र में पिता के नाम के तौर पर उस के पति का नाम दर्ज हो गया जबकि बायोलोजिकल पिता उस का लिवइन पार्टनर था. कुछ समय बाद महिला ने पति से तलाक ले लिया. अब उस ने बर्थ सर्टिफिकेट पर बच्चे के पिता के तौर पर अपने लिवइन पार्टनर का नाम डलवाना चाहा.
यह मामला नवी मुंबई का है. वहां की महानगर पालिका ने पिता का नाम बदलने से इनकार कर दिया. मजिस्ट्रेट कोर्ट में भी महिला की याचिका खारिज हो गई तो वह मुंबई हाईकोर्ट पहुंची. 8 अगस्त, 2023 को जस्टिस एस बी शुक्रे व जस्टिस राजेश पाटिल की बैंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई और आगे की डेट दी गई. इस तरह पूर्व पति की जगह बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में लिवइन पार्टनर का नाम डलवाने के लिए वह लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रही है.
Diese Geschichte stammt aus der February Second 2024-Ausgabe von Sarita.
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