"क्या यार, दोस्तों को डिनर पर बुलाने से पहले मुझ से पूछ तो लेते. आज शाम को मीटिंग है. कितनी देर चलेगी, पता नहीं. मैं कब घर पहुंचूंगी और कब खाना बनाऊंगी?" फोन पर पति पर झुंझलाते हुए लता ने उस से कहा कि वह अपने दोस्तों को इतवार को बुलाए मगर संदीप का जवाब सुन कर तो लता आश्चर्य से उछल पड़ी.
संदीप ने कहा, “तुम आराम से मीटिंग अटैंड कर के आओ. खाना तुम को रेडी मिलेगा."
लता बोली, “तो तुम खाना बाहर से और्डर करने वाले हो, लंबाचौड़ा बिल आएगा?"
संदीप ने कहा, "नहीं, सिर्फ 299 रुपए खर्च होंगे और पूरा खाना घर पर ही बनेगा, वह भी बिलकुल होटल वाले स्वाद का."
लता चकराई, बोली, "कोई जादू की छड़ी मिल गई है क्या, तुम को तो चाय तक बनानी नहीं आती?"
संदीप हंसते हुए बोला, “हां, जादू की छड़ी ही समझ लो. एक कंपनी का ऐप देखा था. वह सिर्फ 299 रुपए में हमारे घर पर अपना शेफ भेजेगी जो दो से तीन घंटे में चारपांच तरह की डिशेज तैयार कर देगा और वह भी बिलकुल होटल वाले खाने के स्वाद की. रोटियां और पूरियां भी बना देगा और सारा काम कर के तुम्हारा पूरा किचन अच्छी तरह साफ चमका कर जाएगा."
लता बोली, "क्या बात कर रहे हो, सिर्फ 299 रुपए में ? मुझे तो यकीन नहीं आ रहा."
संदीप ने कहा, “यकीन तो मुझे भी नहीं हो रहा था. फिर मैं ने उन की वैबसाइट देखी. वहां सारी डिटेल्स हैं. बस, एक फोनकौल पर शेफ आप की सेवा में हाजिर है. अब तुम को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है. खाना बनाने की चिंता से मुक्त हो कर मीटिंग अटैंड करो."
लता को संदीप की बातों पर यकीन तो नहीं हुआ मगर शाम को औफिस की मीटिंग खत्म कर के साढ़े 7 बजे जब वह घर पहुंची तो डाइनिंग टेबल पर कढ़ाई पनीर कोफ्ते, आलू गोभी की सब्जी, रायता, पुलाव, सलाद और पूरियां सजी देख कर वह आश्चर्य में पड़ गई. मेहमान भी आ चुके थे. किचन में 2 शेफ थे जो खाना बनाने और डाइनिंग टेबल पर सजाने के बाद किचन की सफाई कर रहे थे. 15 मिनट में दोनों ने पूरा किचन चमका दिया और अपना बैग पैक कर के चल दिए. जातेजाते कह गए, "सर, खाना अच्छा लगे तो हमारी वैबसाइट पर जा कर फीडबैक जरूर दीजिएगा."
Diese Geschichte stammt aus der August First 2024-Ausgabe von Sarita.
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