सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग
Sarita|October Second 2024
हरियाणा और जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच जंग आसान नहीं है. दोनों के बीच सांपसीढ़ी का खेल चलता रहता है.
शैलेंद्र सिंह
सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग

भारत की राजनीति में धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच की जंग आजादी के पहले से रही है. दोनों सांपसीढ़ी जैसा खेल खेलते हैं. कई बार धर्मनिरपेक्षता जीत के करीब पहुंच जाती है. अचानक उसे झटका लगता है और वह धड़ाम से नीचे आ गिरती है.

धर्मनिरपेक्ष यानी सैक्युलर सरकार चलाने का एक अलग सिद्धांत है. इस का शासन लोगों के चुने हुए विद्वानों के लाए संविधान की ताकत पर चलता है. इस के 2 प्रमुख विचार होते है. पहला, सरकार चलाने के लिए बने नियमों में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होगा. दूसरा, सभी धर्मों को मानने वालों के लिए कानून, संविधान व सरकारी नीति एकसमान होगी.

धर्मनिरपेक्षता यानी सैक्युलरिज्म शब्द का पहले पहल प्रयोग बर्मिंघम के जौर्ज जैकब हौलियौक ने वर्ष 1846 में किया था. उन के अनुसार, 'आस्तिकता, नास्तिकता और धर्मग्रंथों में उलझे बगैर मानव के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, बौद्धिक स्वभाव को उच्चतम संभावित बिंदु तक विकसित करने के लिए प्रतिपादित ज्ञान और सेवा धर्मनिरपेक्षता है.'

भारत में धर्मनिरपेक्षता शब्द का उल्लेख 1976 में संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के द्वारा डाला गया था. वैसे, संविधान सारा का सारा धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर बना हुआ है और इस शब्द को 1976 में जोड़ना अपने आप में महत्त्व का नहीं है. 1950 में लागू संविधान पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष है और धर्म के दुकानदार के ऊपर आम नागरिक को हक देता है.

लेकिन पिछले वर्षों में स्पष्टतया धर्मनिरपेक्षता की अवहेलना की गई है. मुसलिम संप्रदाय ही नहीं, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध सब के सब दूसरे दर्जे के नागरिक बन रहे हैं. भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के 4 दिनों पहले यानी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवैधानिक पद पर रहते हुए यजमान बन कर अयोध्या में नए राममंदिर की प्राणप्रतिष्ठा करवाई. उस से पहले नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में उस नए संसद भवन के लिए भूमिपूजन जजमान की तरह से किया था जो धर्मनिरपेक्षता का जनक है. इस के बाद नए संसद भवन का उद्घाटन धर्मनिरपेक्षता को हवा में उड़ाते हुए पूरी तरह से हिंदू प्रतीक और रीतिरिवाज से किया गया था.

Diese Geschichte stammt aus der October Second 2024-Ausgabe von Sarita.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der October Second 2024-Ausgabe von Sarita.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS SARITAAlle anzeigen
एक गलती ले डूबी इन ऐक्टर्स को
Sarita

एक गलती ले डूबी इन ऐक्टर्स को

फिल्म कलाकारों का पूरा कैरियर उन की इमेज पर टिका होता है. दर्शक उन्हें इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें वे अपना आइकन मानने लग जाते हैं मगर जहां रियल लाइफ में इस इमेज पर डैंट पड़ता है वहां वे अपने कैरियर से हाथ धो बैठते हैं.

time-read
7 Minuten  |
October Second 2024
शादी से पहले खुल कर करें बात
Sarita

शादी से पहले खुल कर करें बात

पतिपत्नी में किसी तरह का झगड़ा हो हीन, इस के लिए शादी के बंधन में बंधने से पहले दोनों पार्टनर्स हर विषय पर खुल कर बात करें चाहे अरेंज मैरिज हो रही हो या हो लव मैरिज. वे विषय क्या हैं और बातें कैसे व कहां करें, जानें आप भी.

time-read
6 Minuten  |
October Second 2024
सुनें दिल की धड़कन
Sarita

सुनें दिल की धड़कन

सांस लेने में मुश्किल, छाती में दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो फौरन कार्डियोलोजिस्ट से हृदय की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थिति गंभीर हो सकती है.

time-read
5 Minuten  |
October Second 2024
जब ससुर लेता हो बहू का पक्ष
Sarita

जब ससुर लेता हो बहू का पक्ष

जिन मातापिता के पास सिर्फ बेटे ही होते हैं वे घर में बहू के आने के बाद बहुत खुश होते हैं. बहू में वे बेटी की कमी को पूरा करना चाहते हैं. ऐसे में ससुर के साथ बहू के रिश्ते बहुत अच्छे हो जाते हैं क्योंकि लड़कियां बाप की ज्यादा लाड़ली होती हैं.

time-read
7 Minuten  |
October Second 2024
डिंक कपल्स जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेलेपन की खाई
Sarita

डिंक कपल्स जीवन के अंतिम पड़ाव में अकेलेपन की खाई

आजकल शादीशुदा युवाओं की लाइफस्टाइल में डिंक कपल्स का चलन बढ़ गया है. इस में दोनों कमा कर आज में जीते हैं पर बच्चे, परिवार और बिना जिम्मेदारियों के साथ. यह चलन खतरनाक भी हो सकता है.

time-read
3 Minuten  |
October Second 2024
प्रसाद पर फसाद
Sarita

प्रसाद पर फसाद

प्रसाद में मांसमछली वगैरह की मिलावट की अफवाह के के बाद भी तिरुपति के मंदिर में भक्त लड्डू धड़ल्ले से चढ़ा रहे हैं. इस से जाहिर होता है कि यह आस्था का नहीं बल्कि धार्मिक और राजनीतिक दुकानदारी का मसला है.

time-read
7 Minuten  |
October Second 2024
आरक्षण के अंदर आरक्षण कितना भयावह?
Sarita

आरक्षण के अंदर आरक्षण कितना भयावह?

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत सरकारों को अब एससी और एसटी आरक्षण के भीतर भी आरक्षण देने की छूट होगी. इस फैसले ने आरक्षण की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. इस से जाति आधारित आरक्षण की मांग और भी जटिल हो जाएगी, जिस से देश में नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है.

time-read
10 Minuten  |
October Second 2024
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita

1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए कानूनों में 2-3 ने ही सामाजिक परिदृश्य को बदला. राजीव गांधी को सामाजिक मामलों की ज्यादा चिंता नहीं थी, यह साफ है.

time-read
8 Minuten  |
October Second 2024
सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग
Sarita

सांपसीढ़ी की तरह है धर्म और धर्मनिरपेक्षता की जंग

हरियाणा और जम्मूकश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच जंग आसान नहीं है. दोनों के बीच सांपसीढ़ी का खेल चलता रहता है.

time-read
8 Minuten  |
October Second 2024
क्यों फीकी हो रही फिल्मी और आम लोगों की दीवाली
Sarita

क्यों फीकी हो रही फिल्मी और आम लोगों की दीवाली

फिल्मों की दीवाली अब पहले जैसी नहीं रही. दीवाली का त्योहार अब बड़े बजट की फिल्मों के लिए कलैक्शन का दिन भी नहीं रहा. इस मौके पर फिल्में आती तो हैं लेकिन बुरी तरह पिट जाती हैं. फिल्मी हस्तियों व आम लोगों के लिए दीवाली फीकी होती जा रही है.

time-read
8 Minuten  |
October Second 2024