ऋषि चार्वाक ने कहा था- 'यावत जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पीबेत.' यानी जब तक जिएं, सुख से जिएं, कर्ज ले कर घी पिएं.
यह श्लोक हम ने कई बार सुना है. इस के उलट इस पर अमल करने को हमारे पूर्वजों ने गलत बताया है, उन का कहना था कि कर्ज ले कर जीवनयापन करना बहुत खराब है. इस पर कई कहावतें और लोकोक्तियां भी बनीं. सभी में यही कहा गया, 'जितनी चादर हो, अपने पैर उतने ही फैलाने चाहिए.' हालांकि कर्ज ले कर अगर अपना बिजनैस बढ़ाया जाए तो यह बुरा नहीं है.
लेकिन कर्ज आप कहां से ले रहे हैं ? उस पर कितना ब्याज दे रहे हैं ? कर्ज के पैसों को कहीं आप घर के ऐशोआराम में तो नहीं खर्च कर रहे ? ये सब बातें माने रखती हैं.
अभी हाल ही में कर्ज के जाल में फंस कर एक और हंसताखेलता परिवार खत्म हो गया. यूपी के सहारनपुर के सर्राफा कारोबारी सौरभ बब्बर और उस की पत्नी मोना बब्बर ने गंगा नदी में कूद कर जान दे दी. कूदने से पहले दोनों ने सैल्फी ली. उसे अपने दोस्तों को भेजा. साथ में, सुसाइड नोट भी था, जिस में लिखा था
कर्ज में डूबे हुए हैं. ब्याज देदे कर परेशान हो गए हैं. अब हम से और ब्याज नहीं दिया जाता. इसलिए मौत को गले लगाने जा रहे हैं.
ऐसा भी नहीं है कि उन्हें अपने बच्चों की चिंता नहीं थी. पतिपत्नी ने अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए उन्हें नानानानी के घर में छोड़ा. उन के ऊपर 10 करोड़ रुपए का कर्ज था. उन्होंने कर्ज चुकाने की कोशिश में घर या मकान को नहीं बेचा, बल्कि बच्चों के लिए उस प्रौपर्टी को छोड़ने की बात लिखी. यह केवल एक घटना नहीं है बल्कि आएदिन इस तरह की घटनाओं से अखबारों के पन्ने भरे रहते हैं. ऐसे जाने कितने मामले हैं जहां आर्थिक तंगी और कर्ज ने पूरा परिवार बरबाद कर दिया.
मशहूर ऐक्टर और प्रोड्यूसर नितिन देसाई ने भी कर्ज के जाल में फंस कर जान दे दी थी.
दिग्गज, आर्ट डायरैक्टर, ऐक्टर व प्रोड्यूसर नितिन देसाई पर 180 करोड़ रुपए का कर्जा चढ़ा हुआ था. इस कर्ज को उतारने के लिए उन्होंने अपनी सारी जमीनजायदाद को गिरवी रखा हुआ था. बताया जा रहा है कि आर्ट डायरैक्टर ने यह रकम एक फाइनैंस कंपनी से ली थी. जब नितिन देसाई इस कर्ज को उतारने में खुद को असमर्थ समझने लगे तो उन्होंने खुदकुशी जैसा जानलेवा कदम उठा लिया.
Diese Geschichte stammt aus der November Second 2024-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November Second 2024-Ausgabe von Sarita.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.