सरकार थोप रही मोबाइल

बढ़ते मोबाइल अर्थात ईगवर्नेस के प्रभाव से हम सभ्यता का आखिर कौन सा मानदंड अगली पीढ़ियों को सौंपने जा रहे हैं. आजकल बहुत सभ्य समाज के असभ्य आचरण पर हम रोजाना पढ़ते भी हैं और रोते तो बहुत हैं. आज के अत्यधिक डिजिटलाइज्ड युग में सवाल उठता है कि हम किस गिरफ्त में फंसने को विवश हैं ? सरकार द्वारा प्रस्तावित सेवाएं जरूरी हैं, इसलिए सभी को इन्हें मानना होगा.
लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कहीं यह दिखावा या अत्यधिक नियंत्रण हमारे और आने वाली पीढ़ियों के लिए नुकसानदायक न साबित हो.
ईशासन और समाज में मोबाइल की बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए भारत सरकार ने न केवल नागरिक सेवाओं, बल्कि कई अन्य महत्त्वपूर्ण सेवाओं को भी मोबाइल के जरिए लोगों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है. इस के लिए सरकार विभिन्न साझेदारों के साथ मिल कर इस योजना को साकार करने की कोशिश कर रही है.
Diese Geschichte stammt aus der February First 2025-Ausgabe von Sarita.
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शादी या बच्चे खुशी का पैमाना नहीं
अब तुम्हारी उम्र हो गई है शादी की, उम्र निकल गई तो अच्छी लड़की या लड़का नहीं मिलेगा, एडजस्ट करना पड़ेगा, चौइस नहीं बचेगी आदिआदि. सिर्फ पेरैंट्स ही नहीं, सोसाइटी के लोग भी ये डायलौग्स बोलबोल कर शादी का प्रैशर बनाना शुरू कर देते हैं. क्या सच में शादी के बिना जीवन व्यर्थ है?

तीये की रस्म
सब मोहमाया है लेकिन मायारामजी ने माया जिंदगीभर छोड़ी ही नहीं. लेकिन मोक्षधाम में एंट्री से वंचित न रह जाएं, इस का इंतजाम जीतेजी जरूर करवा लिया था.

बच्चों के इंस्टा अकाउंट पर रहेगी नजर
मेटा ने भारत में इंस्टाग्राम किशोर अकाउंट नीतियों में बदलाव की घोषणा की है. नए नियमों के तहत बच्चों और किशोरों के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाएंगे.

तार्किक लोगों के श्मशान घाट
कहने वाले गलत नहीं कहते कि मौत का खौफ आदमी को चैन और सुकून से जीने भी नहीं देता. कैसेकैसे होते हैं ये डर और कौन इन्हें फैलाता है, यह जानते समझते हुए भी लोग खामोश रहते हैं.

क्या छोटे दलों को लील जाएगी भाजपा
बड़ी मछली मछली मछली को खा जाती है..छोटी राजनीति में भी बड़े दल पहले छोटे दलों को लोलीपोप देते हैं, फिर उन को खत्म कर देते हैं. भाजपा अब बड़ी मछली बन कर छोटे दलों को खा रही है.

फ्लैट कल्चर और आप की प्राइवेसी
बढ़ती जनसंख्या ने जगह तंग कर दी है. अब लोग आगेपीछे, दाएंबाएं फैलने की जगह ऊपर की तरफ बढ़ रहे हैं. कहने का अर्थ यह कि अब रहने के लिए घर नहीं बल्कि फ्लैट अधिक बन रहे हैं. ऊंचीऊंची बिल्डिंगों में कबूतरखाने हैं, जहां प्राइवेसी का नामोनिशान नहीं.

मुसलिम लड़कों की शादी में अड़चन क्यों
20 साल पहले तक मुसलिम समाज में आपसी शादियों का प्रचलन जोरों पर था. गरीब हो या अमीर, मुसलमानों के बीच खून के रिश्तों में निकाह हो जाना आम बात थी. मगर अब यह चलन कम होता जा रहा है और मुसलिम शादियों में भी कई तरह की अड़चनें आने लगी हैं.

नींद की गोलियां इतनी भी नुकसानदेह नहीं
आजकल हर कोई नींद न आने की समस्या से ग्रस्त और त्रस्त है जिस की अपनी अलग अलग वजहें भी हैं. लेकिन नींद की गोली से सभी बचने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं. इस के पीछे पूर्वाग्रह ही हैं नहीं तो नींद की गोली उतनी बुरी भी नहीं.

रोने को हथियार न बनाएं
कुछ लोगों के लिए रोना अपने इमोशन, दुख को एक्सप्रैस करने का एक जरिया होता है तो कुछ लोग जानबूझ कर रोते हैं ताकि सामने वाला उन्हें गंभीरता से सुने और उन की इच्छा पूरी हो.

पति भी पत्नी के खिलाफ कर सकता है शिकायत
जिस तरह ससुराल से प्रताड़ित महिला को कानूनों से हक मिले हुए हैं वैसे ही पुरुष को भी मिले हैं. पति भी पत्नी की प्रताड़ना की शिकायत करा सकते हैं.