सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए रेलवे को सेवाएं प्रदान करने का रास्ता साफ कर दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के अनुसार रेल मंत्रालय ने निजी कंपनियों के लिए अपनी दूरसंचार सेवाओं का दरवाजा खोलते हुए उन्हें रेलवे की जमीन पर दूरसंचार टावर स्थापित करने की भी अनुमति दे दी है। अब तक यह अधिकार रेलवे की दूरसंचार इकाई- रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास ही था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए रेलवे भूमि के लाइसेंस शुल्क (एलएलएफ) मानदंडों में ढील दिए जाने के कुछ महीने बाद यह पहल की गई है। नई एलएलएफ नीति के अनुसार मोबाइल टावरों के लिए 7 फीसदी राजस्व हिस्सेदारी की मौजूदा दरें खत्म कर दी गई हैं। इसके बजाय अब भूमि के बाजार मूल्य का 1.5 फीसदी वार्षिक भूमि उपयोग शुल्क लागू किया जाएगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने नीति का दस्तावेज देखा है, जिसके मुताबिक यह पहल देश में 5जी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए की गई है। रेलवे के क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि अनुमति देते समय रेलवे की भविष्य की नेटवर्क जरूरतों पर प्रमुखता से गौर किया जाए।
Diese Geschichte stammt aus der December 26, 2022-Ausgabe von Business Standard - Hindi.
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