विधेयक में पहले भरोसेमंद स्थानों की बात कही गई थी मगर इसके अंतिम खाके में ब्लैकलिस्टिंग यानी रोक लगाने की बात हो गई। यह बदलाव क्यों हुआ?
इसे व्हाइटलिस्टिंग या ब्लैकलिस्टिंग मत कहिए। डिजिटल दुनिया की कोई सीमा नहीं है। आज की कनेक्टेड दुनिया में भारत से करीब 600 अरब डॉलर का आयात और निर्यात होता है। आयात या निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं में ढेर सारी निजी जानकारी, बैंक खाता संख्या, पते जैसी संवेदनशील जानकारी होती है। इसलिए हमने एक ढांचा तैयार किया है, जिससे हम विभिन्न क्षेत्रों की खास जरूरतें पूरी कर सकते हैं। कानून लागू होने पर भारत का आईटी उद्योग और भी आकर्षक हो जाएगा क्योंकि कुछ देश कह रहे थे कि आपके यहां डेटा सुरक्षा कानून नहीं है तो हम आपको ठेके पर काम नहीं दे सकते। लेकिन डेटा सुरक्षा कानून बनने से हमारा आईटी उद्योग अब कह सकेगा कि हमारे देश में मजबूत कानून है और उन्हें अब ज्यादा काम मिलेगा।
क्या इस कानून से अनुपालन की लागत बढ़ जाएगी?
मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा क्योंकि हमने इस पर उद्योग से लेकर सभी हितधारकों के साथ गहन चर्चा की है। हां, तौर-तरीकों मे काफी बदलाव आएगा। आंतरिक व्यापार प्रक्रिया को समरूप बनाने के तरीके में भी बदलाव आएगा। अब वे गोपनीयता पर जोर देंगे, वे भारतीय भाषाओं को उनका हक देने और शिकायत निवारण तंत्र को समुचित रूप से लागू करने पर ध्यान देंगे। अनुपालन का ज्यादा बोझ नहीं बढ़ेगा।
Diese Geschichte stammt aus der August 12, 2023-Ausgabe von Business Standard - Hindi.
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