मानव संसाधन (एचआर) विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार की नई इंटर्नशिप योजना के बेहतर नतीजे देखने को मिलेंगे जिसके तहत पांच वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को हुनर-कौशल प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित ‘बीस्मार्ट एचआर कॉन्क्लेवः शेपिंग टुमॉरोज वर्कफोर्स’ में उद्योग और अकादमिक जगह के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस नई इंटर्नशिप योजना की घोषणा की है इसकी वास्तविक सफलता इस बात पर निर्भर होगी कि इस पर किस तरीके अमल किया जाता है।
इस पैनल चर्चा में एचआर क्षेत्र के कई दिग्गज नामों ने हिस्सा लिया जिनमें पीपल ऐंड ऑर्गनाइजेशन के वरिष्ठ निदेशक और नोवो नॉरडिस्क इंडिया के बोर्ड सदस्य अमित कुमार दास, ओरेकल इंडिया में मानव पूंजी प्रबंधन और क्लाउड सॉल्यूशंस इंजीनियरिंग टीम के प्रमुख सूर्यनारायण अय्यर, स्टरलाइट पावर की समूह प्रमुख (एचआर ऑफिसर) रूही पांडेय, नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में एमबीए-एचआर की फैकल्टी प्रमुख हेमा बजाज का नाम शामिल है।
दास ने इसे सरकार का नेक इरादा बताते हुए कहा कि भारत में जनादेश हमेशा बेहतरी के लिए होता है। उन्होंने कहा कि इस योजना का जोर प्रतिभा विकास के निर्माण मॉडल पर आधारित है न कि प्रतिभा विकास के ‘आयातित मॉडल’ पर।
सीतारमण ने घोषणा की थी कि ताजा केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार, शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं को इंटर्नशिप के मौके की पेशकश करने वाली योजना के मौके के लिए पहल करेगी। कॉरपोरेट जगत से जुड़े मामलों का मंत्रालय इन कंपनियों के साथ सहयोग कर औद्योगिक कुशलता प्रशिक्षण के लिए अनिवार्य संसाधनों को जुटाने की दिशा में काम करेगा।
Diese Geschichte stammt aus der August 29, 2024-Ausgabe von Business Standard - Hindi.
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महिला मतदाताओं की बढ़ती अहमियत
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
श्रम मंत्रालय तैयार कर रहा है रूपरेखा
गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
भारत के गांवों में गरीबी घटी
वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था