पिछले साल 7 अक्टूबर को ही हमास ने इजरायल में हमला किया था और फिर इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पट्टी पर आक्रमण कर दिया था। इस टकराव के एक साल बाद इजरायल, लेबनान और जॉर्डन जैसे देशों को छोड़कर पश्चिम एशिया के अधिकतर बड़े देशों के साथ भारत के कारोबार पर ज्यादा व्यवधान नहीं पड़ा। मगर इन इलाकों में भू राजनीतिक तनाव बार-बार होने से शिपिंग और लॉजिस्टिक्स की लागत लगातार बढ़ रही है।
इस टकराव के कारण ही ईरान ने इजरायल पर दो बड़े मिसाइल हमले किए और फिर इजरायल ने तेहरान के साथ गठबंधन वाले हिज्बुल्ला का खात्मा करने के लिए लेबनान में जमीनी हमला किया गया। इसके बाद इजरायल जाने वाले जहाजों पर यमन हूती विद्रोहियों ने समुद्री हमला किया। हालांकि अभी भी दुनिया भर के कच्चे तेल की एक तिहाई हिस्सेदारी वाले इन इलाकों में टकराव बढ़ने की आशंका है। इसके बावजूद, पश्चिम एशिया से कच्चे तेल का प्रवाह मजबूत बना हुआ है। खास बात यह है कि बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात वाले खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ भारत का कारोबार मजबूत बना हुआ है। इस साल के शुरुआती सात महीनों में जीसीसी देशों को निर्यात एक साल पहले के मुकाबले 17.9 फीसदी बढ़कर 34.9 अरब डॉलर का रहा। वाणिज्य विभाग के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी से जुलाई के दौरान आयात भी 10 फीसदी बढ़कर 68.92 अरब डॉलर का था।
Diese Geschichte stammt aus der October 08, 2024-Ausgabe von Business Standard - Hindi.
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फ्रंट-रनिंग: केतन पारेख की भूमिका?
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मोदी ने दिल्ली के लिए खोला दिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली के अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में इन-सीटू स्लम पुनर्वास परियोजना के अंतर्गत झुग्गी झोपड़ी (जेजे) समूहों के निवासियों को 1,675 नवनिर्मित फ्लैटों की चाबियां सौंपीं और इन्हें आत्मसम्मान, गरिमा और नई आकांक्षाओं व सपनों का प्रतीक बताया।
कोहरे से 500 उड़ानें, 24 ट्रेनें प्रभावित
कोहरा और धुंध एक बार फिर परेशान करने लगी है। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे के कारण शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर आने और जाने वाली लगभग 500 उड़ानों में देर हुई जबकि 24 रेलगाड़ियां भी अपने गंतव्य पर देर से पहुंची।
कुशल पेशेवर दोनों देशों के लिए मददगार
अमेरिका में एच1बी वीजा पर छिड़ी बहस पर विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब
आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास इस बार पहले जैसा या एक ही लीक पर चलने वाला बजट पेश करने का विकल्प नहीं है। वृद्धि, रोजगार, बुनियादी ढांचे और राजकोषीय संतुलन पर जोर तो हमेशा ही बना रहेगा मगर 2025-26 के बजट में उस पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसे बहुत पहले तवज्जो मिल जानी चाहिए थीः बाह्य और आंतरिक सुरक्षा।
महिला मतदाताओं की बढ़ती अहमियत
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
श्रम मंत्रालय तैयार कर रहा है रूपरेखा
गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
भारत के गांवों में गरीबी घटी
वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था