दिल्ली में औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार बार्डर क्षेत्र पटपड़गंज से लेकर बवाना तक है। 48 स्वीकृत बड़ा मुद्दा और पुनर्विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में दो लाख से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। 50 से अधिक क्लस्टर हैं, जो 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं। विभागों के साथ ही स्थानीय स्तर पर कई समस्याओं से जूझ रहे इन औद्योगिक क्षेत्रों के उद्यमी कहते हैं कि अगर उन्हें शासनप्रशासन का साथ और माहौल मिले तो अन्य राज्यों की तरह दिल्ली की औद्योगिक अर्थव्यवस्था को उड़ान देने को तैयार हैं। बल्कि वह उद्योग के मामले में भी देश का नेतृत्व कर सकते हैं। इस वक्त विभिन्न सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी, अधिक बिजली व श्रम शुल्क, मालिकाना हक का अभाव, अधिक कर, मूलभूत तथा विकासात्मक सुविधाओं का अभाव कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जो रोड़ा हैं। चुनाव आ गया है तो इन समस्याओं को दूर करने का आश्वासन एक बार फिर से राजनीतिक दल देने लगे हैं।
परिवहन, पार्किंग, स्वास्थ्य व पानी की सुविधा नहीं हैं
स्थापना के 20 वर्ष बाद भी बवाना समेत अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं के विकास के नाम पर आंतरिक मार्ग, बिजली व सीवर लाइन ही हैं। जबकि औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवश्यक राजमार्ग से जुड़ाव, सार्वजनिक परिवहन, ट्रक पार्किंग, स्वास्थ्य सेवाएं व पेयजल इत्यादि जैसी मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है। औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यमी व कामगार के लिए कौशल विकास केंद्र, स्थानीय प्रदर्शनी व बैठक स्थल की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
बिजली की दरों को कम करके दी जाए राहत
Diese Geschichte stammt aus der December 27, 2024-Ausgabe von Dainik Jagran.
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