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वैदिक साहित्य और सरस्वती-सिंधु सभ्यता में सूर्य
सभ्यता के प्रारंभ से ही सूर्य की पूजा की जाती रही है। भारतीय उपमहाद्वीप ही नहीं, प्राचीन विश्व का प्रायः समस्त समाज किसी न किसी रूप में सूर्य की पूजा करता आया है। सूर्य में विशेष रूप से आंखों, त्वचा, दांतों, नाखूनों के पीलेपन को ठीक करने और हृदय रोग के साथ-साथ रक्ताल्पता से राहत देने की अद्भुत शक्ति है
'उत्कर्ष' और 'अपराजिता' की गाथा
दिल्ली में यौनकर्मियों हेतु पहली बार 'उत्कर्ष' नाम से एक औषधालय शुरू हुआ, वह उनकी बच्चियों को पढ़ाने हेतु 'अपराजिता' नामक प्रकल्प चल रहा
भारत माता ही वास्तविक देवी
स्वामी विवेकानंद कहते थे कि चित्त-शुद्धि के लिए अपने चारों ओर फैले हुए असंख्य मानवों की सेवा करो। आपस में ईर्ष्या-द्वेष रखने के बजाय, आपस में झगड़े और विवाद के बजाय, तुम परस्पर एक-दूसरे की अर्चना करो
संसार में सनातन संस्कृति का प्रसार
आज स्वामिनारायण संस्था विश्व के 55 देशों में पहुंच गई है। सनातन संस्कृति को फैलाने के साथ ही यह संस्था शिक्षा, संस्कार, रोजगार और सेवा के अनगिनत प्रकल्पों के माध्यम से समाज को एकसूत्र में बांध रही है
विकसित देशों को दिशा देते प्रवासी भारतीय
प्रवासी भारतीयों ने अपनी मेधा से न सिर्फ अपने देश को उन्नत किया बल्कि जिन देशों में उन्होंने प्रवास किया, उसके उन्नयन में भी प्रमुख भूमिका निभाई
विश्व में श्रेष्ठता के प्रसारक
भारतीय ऋषि-मुनियों, धर्मोपदेशकों और आचार्यों ने पूरे विश्व का भ्रमण करते हुए ज्ञान और सत्य का संदेश दिया और सम्पूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाने के अपने धर्म का पालन किया। इन विद्वानों ने ज्ञान, विज्ञान, भाषा, योग, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, गणित का ज्ञान विश्व को देकर सुदूर क्षेत्रों तक भारतीय संस्कृति का विस्तार किया
जल पर संवाद - धार
पंचमहाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने के दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान द्वारा उज्जैन में 27 से 29 दिसंबर तक एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 'सुजलाम्' का आयोजन किया गया
'यह दिशा और स्वत्व पर अडिग रहने की परीक्षा है'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहा है। राजनीतिक प्रभाव से लेकर महिलाओं की भागीदारी तक कई विषय ऐसे हैं, जो संघ के विरुद्ध प्रचार में प्रयुक्त होते रहे हैं। युवाओं की भागीदारी, तकनीक की भूमिका, एलजीबीटी समुदाय के प्रति दृष्टिकोण, आर्थिक विषय और पर्यावरण से लेकर तमाम विषयों पर लोगों की अपेक्षा रहती है कि संघ अपनी बात रखे और उन्हें एक दिशा दे। सरसंघचालक डॉक्टर मोहनराव भागवत ने पाञ्चजन्य- ऑर्गनाइजर संवाद में हितेश शंकर और प्रफुल्ल केतकर के साथ नागपुर में इन विषयों पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस विशेष वार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश:
आईटी में 'जनसांख्यिक लाभांश' ले पाएंगे हम ?
आज जनसंख्या का पहलू भारत के पक्ष में है और आईसीटी सेक्टर के लिहाज से भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। अब भविष्य ही बताएगा कि हम इसका कितना लाभ उठा सकेंगे
कहां हैं सीएए का विरोध करने वाले!
पाकिस्तन में हिन्दुओं को प्रताड़ित करने के लिए कुफ्र संबंधी कानून को फिर एक बार औजार बनाया गया है। हिन्दू लड़कियों के अपहरण पर सोशल मीडिया पर दुख जताना एक हिन्दू बालक को बहुत भारी पड़ गया। इन्हीं की प्राण रक्षा के लिए सीएए कानून लाया गया था
फौज पर ताबड़तोड़ हमले
बलूचिस्तान में जिन्ना के जन्म दिन पर जिस तरह से सुरक्षाबलों पर एक के बाद एक हमले किए गए, उससे पता चलता है कि 'कायद-ए-आजम' के प्रति बलूचों में कितना गुस्सा है
छिवाला में ईसाई छल
ईसाई मिशनरियों ने उत्तरकाशी जिले के छिवाला गांव में छल से लोगों को बनाया ईसाई। आक्रोशित स्थानीय नागरिकों और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के जबरदस्त विरोध के बाद मामला दर्ज कर पुलिस कर रही है जांच
आज भी 'जिंदा' हैं बाबा जसवंत
1962 के युद्ध में महावीर जसवंत सिंह रावत ने 300 से अधिक चीनी सैनिकों को मारा। जब वे घिर गए तो उन्होंने अंतिम गोली अपने पर ही चला ली थी। उनकी इस वीरता का सम्मान करने के लिए भारतीय सेना उन्हें आज भी बलिदानी नहीं मानती और उन्हें पदोन्नत करती रहती है
भारत के 'ठीकरावादी' इतिहासकार
प्रपंची इहासकारों की निगाह में भारत भूमि पर कोई भी इसका मूल निवासी नहीं है। कोई एशिया से आया, ईरान, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका तो कोई भूमध्यसागर के निकटवर्ती प्रदेशों से आया। देश के लोगों को अपने इतिहास को जानना होगा, करारा जवाब देना सीखना होगा। अपने इतिहास को पढ़ना-जानना और अगली पीढ़ियों तक सर्वश्रेष्ठ रूप में पहुंचाना होगा।
मुक्ति की ओर 'मथुरा' !
मथुरा में श्रीकृष्ण की जन्मभूमि को लेकर हिन्दू समाज में उत्साह की वैसी ही लहर है, जैसी काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर को लेकर है। काशी में न्यायालय के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण हुआ और अब उसी आधार पर यह मामला अदालत में आगे बढ़ रहा है। ठीक उसी तर्ज पर मथुरा का मामला भी आगे बढ़ता दिख रहा है
भारत का वायरसजीवी विपक्ष
कोरोना की अगली लहर चाहे आए या न आए, भारत को ऐसे संकट काल में चिताओं पर रोटियां सेंकने वालों से लगातार सतर्क रहना होगा। देखिए, पिछली बार क्या किया था उन्होंने...
अटल जी ने जगाया मातृभाषा के प्रति गौरव बोध
अटल जी जानते थे कि प्रभात प्रकाशन विशुद्ध साहित्यिक दायित्वबोध से प्रकाशन कर रहा है। अपने विचारों के अधिष्ठान और विचारों की संपुष्टि के लिए भारतीय जीवन मूल्य, भारतीय धर्म-दर्शन-संस्कृति के उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रकाशन कर रहा है, इसलिए वे हमेशा आशीर्वाद देते थे
'बहुत उज्ज्वल है हिंदी का भविष्य'
'सागर मंथन' के सुशासन संवाद में एक सत्र हिंदी और स्व. अटल बिहारी वाजपेयी पर केंद्रित था। वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा के संचालन में हुए इस सत्र में वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी ने हिंदी के उज्ज्वल भविष्य पर अपने विचार व्यक्त किए, जिसके संपादित अंश इस प्रकार हैं
नीतिगत पंगुता पर प्रहार
अटल जी नीति-निर्धारण में व्यावहारिक दृष्टिकोण के हामी थे। नीतिगत पंगुता को खत्म करने के लिए उन्होंने कई ऐसे निर्णय लिए जिनसे देश की दशा और दिशा बदल गई। जहां सड़कों की मरम्मत तक चुनाव आने पर होती थी, वहां राज्यों के बीच एक्सप्रेसवे बनाने की स्पर्धा होने लगी। प्रस्तुत हैं सागर मंथन- सुशासन संवाद में नीति विशेषज्ञ वैभव डांगे से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत के अंश
अटल जी से सीखा कैसे जीयें जीवन
अटल जी को सुनना प्रेरित कर जाता था। हर बार उनसे कुछ सीखने को मिलता था। उनके ठहाके लोगों को प्रफुल्लित कर देते थे। उनका एक-एक कदम, उनकी भाव-भंगिमाएं संदेश देती थीं। सागर मंथन- सुशासन संवाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत के अंश -
अटल जी ने नींव डाली थी, आज घर है
अटल जी सबको साथ लेकर चलते थे। आदमी की परख उनको थी। किस आदमी को कहां लगाना है-यह प्रबंधन उन्होंने अच्छी तरह किया। उनकी सोच थी कि जब तक अच्छी तरह देश का विकास नहीं करेंगे, तब तक आगे नहीं बढ़ेंगे। पाञ्चजन्य के सागर मंथन-सुशासन संवाद में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्रीपद नाइक से वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा की बातचीत के अंश
अटल जी ने शुरू की भारत जोड़ो यात्रा
देश को जोड़ने की शुरुआत मन को जोड़ने से होती है। मन से विचार और विचार से राष्ट्र जुड़ता है तो राष्ट्र आगे बढ़ता है। यह शुरुआत अटल जी ने सुशासन के जरिए की थी। हमें उनके विचारों को आधुनिक स्वरूप में लाने के लिए मंथन करना चाहिए। प्रस्तुत है पाञ्चजन्य के सागर मंथन- सुशासन संवाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु के वक्तव्य पर आधारित आलेख
मस्ती ही नहीं मंथन की भी धरती होगा गोवा
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने स्पष्ट कहा कि पूर्ण मुक्ति के लिए औपनिवेशिक मानसिकता से आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने गोवा को मौज-मस्ती की धरती से मंथन की धरती बनाने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने गोवा के सर्वांगीण विकास के लिए अपनी योजनाओं का खाका भी खींचा। गोवा में पाञ्चजन्य के सागर मंथन कार्यक्रम के सुशासन संवाद में श्री प्रमोद सावंत के साथ पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत के प्रमुख अंश
आईटी में कामयाबी के मायने और भारत
भारत के आईसीटी क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। विश्वव्यापी आर्थिक ठहराव के दौर में भारत में अवसरों का प्रस्फुटन विश्व के लिए भी एक उम्मीद जगाता है
पाकिस्तानी प्रलाप का दूसरा पक्ष
पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए वहां के तमाम नेता फौज के जनरलों को खुश करने में लगे हैं। कोई इस्लामी बैंकिंग शुरू करा रहा है, कोई परमाणु बम की धमकी दे रहा है, तो कोई संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रधानमंत्री को लेकर ओछी बात कर रहा है
समाज: यह रीत है जीवन की
कुछ समय पहले राजस्थान में जालौर के एक गांव में वाल्मीकि समाज की बेटी का विवाह बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। खास बात य रही कि विवाह की तैयारियों से लेकर कन्यादान और विदाई की रस्म 'अगड़ी जाति' के लोगों ने पूरी की 17 तोले सोना, आधा किलो चांदी और इतना सामान दिया कि ट्रैक्टर ट्रॉली भर गई। समाज को जोड़ने वाली यह एक घटना मिसाल है
सावधान ! फिर सिर उठा रहा है कोरोना
चीन में कोरोना महामारी की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है और अगर यह काबू से बाहर हुई तो सिर्फ चीन ही नहीं, इसका खामियाजा दुनिया का हर देश भुगतने को मजबूर हो जाएगा। भारत सरकार भी हुई सतर्क
समय की आहट पहचाने बॉलीवुड
वक्त बदल रहा है, लेकिन बॉलीवुड नहीं बदल रहा है। देश की अस्मिता पर कुठाराघात करने की उसकी मानसिकता अब लोगों के मन से मुम्बइया फिल्मों को दूर कर रही है
कागज पर सुशासन और जमीन पर जिहाद
'यह जमीन बिक्री का नहीं है। इस जमीन का हक वामदेव झा के पास है।'
खतरा सिर पर, सरकारें मस्त
बिहार में नेपाल से सटे जिलों और पश्चिम बंगाल के साथ सीमा साझा करने वाले झारखंड के कई जिलों में मुस्लिम आबादी दोगुनी हो गई है। इसी अनुपात में लव जिहाद, जमीन जिहाद और जमीन पर कब्जे के मामले भी बढ़े हैं, पर राज्य सरकारें तुष्टीकरण में जुटी हुई हैं