स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है । यह बात जितनी जल्दी समझ में आए, उतना अच्छा। इसमें सबसे बड़ी भूमिका होती है आहार की। मनुष्य का शरीर हर क्षण कुछ न कुछ करता रहता है। गहरी नींद में सोते समय भी फेफड़े और हृदय लगातार काम करते हैं, जिससे शरीर में 'सेल्स' निरन्तर बनते और टूटते रहते हैं जिसकी जीवनी शक्ति द्वारा मरम्मत होती है जो आहार के माध्यम से ही संभव है। हमें यह जानने के लिए कहीं बाहर के शोध के इंतजार की जरूरत नहीं कि अगर खान-पान गलत होगा तो शरीर कष्ट में आएगा ही, मन भी बीमार होगा।
जानलेवा कैंसर
कैंसर समूची दुनिया में भयावह रूप लेता जा रहा है । इस मामले में दुनिया के 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी आई है और इसके लगातार बढ़ने का अनुमान है। 2020 में कैंसर पीड़ित पुरुषों की संख्या 6,79,421 थी, जिसके 2025 में बढ़कर 7, 63,585 हो जाने का अनुमान है। महिला कैंसर रोगियों की संख्या 2020 में 7, 12, 758 थी, जिसके 2025 में बढ़कर 8,06,218 हो जाने का अनुमान है। भारत में प्रति लाख 70.23 लोग कैंसर से पीड़ित हैं। 1990 के मुकाबले देश में प्रोस्टेट कैंसर के मामले 22 प्रतिशत तथा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में 33 प्रतिशत, जबकि सर्वाइकल कैंसर के मामले करीब 3 प्रतिशत बढ़े हैं। अब तो ब्रेस्ट कैंसर के मामले 23 से 30 वर्ष की महिलाओं में अधिक पाए जा रहे हैं।
छह रसों का महत्व
देश के कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक, जिस तरह मधुमेह और हृदय रोग एक कारण से नहीं होते, उसी तरह कैंसर का भी एक कारण नहीं होता। इसके पीछे पश्चिमी जीवनशैली, डेयरी उत्पादों का गलत तरीके से सेवन, रासायनिक प्रदूषण, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, कब्ज व गैस्ट्रिक समस्या की भी अहम भूमिका है। व्यक्ति की शारीरिक सक्रियता में कमी आना, दोषपूर्ण व असंतुलित तैलीय व मसाला युक्त खान-पान, व्यायाम नहीं करना, नशीले और मादक पदार्थों के अत्याधिक सेवन से कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
Diese Geschichte stammt aus der August 28, 2022-Ausgabe von Panchjanya.
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