नई रुचियां, नए रोजगार
Panchjanya|September 11, 2022
शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। दो विषयों को समायोजित कर पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं, जो सफल होने के साथ रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति-2020 इस दिशा में बेहद सार्थक भूमिका निभाने वाली है। इसमें औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों ही तरह के पाठ्यक्रम रखे गए हैं
आराधना शरण
नई रुचियां, नए रोजगार

माज और लोगों के लिए शिक्षा व्यवस्था का अर्थ क्या है ? जवाब है कि यह चरित्र निर्माण और ज्ञान प्राप्ति के साथ व्यक्ति के सर्वांगीण विकास पर लक्षित होती है। प्राचीन शिक्षा प्रणाली में गुरु-शिष्य परंपरा के तहत औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों प्रकार की शिक्षा दी जाती थी। उस समय विद्यार्थी आश्रमों में रहकर शिक्षा ग्रहण करते और निपुण होकर घर लौटते थे। इस प्रणाली का उद्देश्य विषयों को रटकर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना नहीं था, बल्कि चिंतन, मनन, तर्क आदि के साथ ज्ञान को आत्मसात करना था। इस पद्धति में व्यक्ति की योग्यता का निर्धारण उसकी क्षमताओं या कार्य कौशल के विकास के आधार पर होता था और व्यक्ति शिक्षा पूरी करने के बाद आत्मनिर्भर और रोजगार सक्षम होकर घर लौटता था। इसमें कोई संशय नहीं है कि प्राचीन शिक्षा पद्धति उत्कृष्ट थी।

भारत में तुर्कों के हमलों और उनके सत्ता में आने के बाद उन्होंने यहां की संस्कृति और शिक्षा पद्धति को प्रभावित करना शुरू किया। मध्यकाल में मामलूक वंश, जिसका संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था, के काल खंड में मदरसों में मजहब आधारित शिक्षा दी जाने लगी। यह शिक्षा प्रणाली व्यक्ति के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित न होकर मजहब केंद्रित थी। बाद में मुगलों के शासन काल में इस शिक्षा प्रणाली का प्रचार-प्रसार हुआ और हमारी ज्ञान आधारित शिक्षण परंपरा हाशिए पर खिसकती चली गई। मुगलों के बाद अंग्रेजों ने देश पर शासन किया । औपनिवेशिक काल में आधुनिक शिक्षा पद्धति की नींव रखी गई, लेकिन इसकी बागडोर ईसाइयों के हाथ में रही, इसलिए इसमें भी एक मत केंद्रित विचारधारा का ही पोषण होता रहा। इस शिक्षा प्रणाली के तहत इतिहास, भूगोल, व्याकरण, साहित्य, गणित आदि पढ़ाए जाने वाले विषयों की पृष्ठभूमि पश्चिमी थी।

Diese Geschichte stammt aus der September 11, 2022-Ausgabe von Panchjanya.

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