चहुंमुखी विकास, बहुमुखी मेधा
Panchjanya|September 11, 2022
शिक्षा संपूर्ण व्यक्तित्व के पुष्पन, पल्लवन एवं परिमार्जन का आधार है। मानव को सभ्य, सुसंस्कृत और योग्य बनाने के लिए यह अपरिहार्य है कि उसे समग्र शिक्षा प्रारंभ से ही दी जाए। समग्र शिक्षा से आशय है युवाओं में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक, नैतिक, आत्मिक आदि सभी मानवीय क्षमताओं का विकास हो
रमाशंकर दूबे
चहुंमुखी विकास, बहुमुखी मेधा

ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म एवं सनातन संस्कृति की राजधानी काशी में 7 से 9 जुलाई 2022 तक भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का सफल आयोजन हुआ। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों से आए कुलपतियों, निदेशकों, विद्वतजन, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस समागम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अब तक के कार्यान्वयन की स्थिति तथा प्रभावी कार्यान्वयन की भावी दिशा तय करने हेतु गहन मंथन हुआ। इस अभूतपूर्व समागम से अनेक संदेश एवं दिशानिर्देश प्राप्त हुए, जो समस्त शिक्षण संस्थानों के लिए उनके भविष्य की दिशा निर्धारित करने में मील के पत्थर साबित होंगे।

प्रथम दिन का प्रथम तकनीकी सत्र समग्र शिक्षा यानी 'होलिस्टिक एजुकेशन' को समर्पित रहा जिसमें वक्ताओं ने प्रत्येक छात्र के लिए समग्र शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। विदित हो कि 29 जुलाई 2020 को भारत सरकार द्वारा घोषित, भारत केन्द्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में युवाओं में गौरवशाली भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी निष्ठा का भाव जगाते हुए, भारत के पारंपरिक मूल्यों एवं आदर्शों को आत्मसात करते हुए समग्र रूप विकसित ऐसे युवाओं के सृजन की परिकल्पना है जो 21वीं सदी की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए, वैश्विक दृष्टि से एक सशक्त, समर्थ एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

Diese Geschichte stammt aus der September 11, 2022-Ausgabe von Panchjanya.

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