राष्ट्र मंदिर है श्रीगम मंदिर
Panchjanya|November 06, 2022
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को बड़े निकट से देखा है। फिलहाल वे मंदिर निर्माण के कार्य को देख रहे हैं। पाञ्चजन्य के 'साबरमती संवाद' में उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रभु श्रीराम देशभर के लोगों के हृदय में बसते हैं। इसलिए यह मंदिर राष्ट्र मंदिर है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का विहंगम अवलोकन करते हुए उन्होंने आंदोलन के दौरान उन तमाम दबी-छिपी कहानियों से पर्दा उठाया, जिनकी इस आंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। चंपत राय से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत के अंश:-
हितेश शंकर
राष्ट्र मंदिर है श्रीगम मंदिर

अयोध्या आंदोलन, जो इस सदी के पूरे इतिहास का सबसे बड़ा घटनाक्रम है, उसे बताने के लिए आज आप से बड़ा कोई अधिकृत व्यक्ति नहीं है। पांच सौ साल पुरानी बात है। कैसे यह आंदोलन बढ़ा, कैसे लोग जुड़े, कैसे आकार लिया, इस पूरी यात्रा को संक्षेप में बताएं

कुछ बातें तो इतिहास की हैं। 1528 से लड़ाई का प्रारंभ होना, 75 लड़ाइयां, 1934 की लड़ाई, 1949 में उस ढांचे पर अधिकार कर लिया। ढांचे के अंदर रामलला स्थापित किए गए। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने ताला डाल दिया, बाहर पूजा शुरू हो गई। अदालत की प्रक्रिया 1950 में शुरू हो गई और 1983 तक चलती रही। यह सामान्य बात है। महत्वपूर्ण बात है, बीसवीं शताब्दी के आखिरी दिनों में हिंदुस्थान के तीन लाख गांव, करोड़ों घर जुड़े। सारा हिंदू समाज अंगड़ाई लेकर खड़ा हो गया। ये कैसे हुआ? राष्ट्र जग गया।

उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ कार्यकर्ताओं ने मिलकर हिंदू जागरण मंच नामक मंच खड़ा किया। जगह-जगह सम्मेलन करते थे। ऐसा ही एक सम्मेलन मुजफ्फरनगर में हुआ मार्च, 1983 में। सम्मेलन में ऐसे तमाम लोगों को बुलाया जाता था जो हिंदू समाज के सम्मान और स्वाभिमान की बात करते थे। उसमें 32 संघ के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी प्रो. राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया आए थे। 

Diese Geschichte stammt aus der November 06, 2022-Ausgabe von Panchjanya.

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