जैसा ये पहाड़ी राज्य है, उसके लिए वैसे ही फौलादी इरादे के साथ जयराम जी काम में जुटे रहते हैं। आज इस समय रात को 12 बजने को आए हैं, यानी ? आधी रात का समय हो गया है। इतनी रात को भी जयराम जी की ऊर्जा देखकर दंग हूं। मुख्यमंत्री का शेड्यूल कितना व्यस्त हो सकता है... दिनचर्या कितनी व्यस्त हो सकती है... सत्ता से दूर रहते हुए भी व्यवहार कैसा होता है ... जनसंवाद कैसा करते हैं..... सक्रिय कितना रहते हैं... इस दृष्टि से जब हमने परखना शुरू किया इस चीज को हमलोग काफी देर से देख रहे थे। पिछले चार दिन से हमारे दो संवाददाता आपके साथ लगे रहे । आपसे कुछ दूरी पर थे, पर आपको नहीं पता परंतु हमें जो ब्यौरा मिला, वह चौंकाने वाला था।
इतनी ऊर्जा आप कहां से लाते हैं और आज आप कितने बजे सुबह उठे हैं?
आज मैं सुबह साढ़े पांच बजे उठा हूं। अभी शिमला में बरसात हो रही है और अभी भी अपने लोकप्रिय मुख्यमंत्री से मिलने के लिए लोगों की कतार लगी हुई है।
इतने छोटे से राज्य में इतनी भारी डिमांड । लगातार जनसंवाद... ये सब कैसे कर पाते हैं?
मैं जबसे राजनीति में आया हूं, तब से लोगों के साथ सरलता से मिलना, ये मेरा स्वभाव है। लोगों की बातों को सुबह से शाम तक सुनना। लोगों की बात सुनकर मदद का रास्ता तलाशने का काम करता हूं और इसमें काफी हद तक सफल भी होता हूं। अपनी ओर से मेरा प्रयास रहता है कि जो मुझसे मिलने आया है, उनसे मिलकर ही जाऊं।
आपकी दिनचर्या देखते हैं तो उसमें एक चीज देखने में आयी कि दिन में 300-400 लोगों से मिलना। मिलना ही नहीं, उनकी बात भी समझना। इसके लिए चाहे किसी के साथ, लंबा समय भी बैठना। इतनी जल्दी आप समझ कैसे जाते हैं और लोग आपसे संतुष्ट भी हो जाते हैं ?
Diese Geschichte stammt aus der October 23, 2022-Ausgabe von Panchjanya.
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