इन दिनों सोशल मीडिया पर बॉलीवुड के हिंदुत्व विरोधी तत्वों की जमकर खबर ली जा रही है। अलग-अलग सोशल मीडिया मंचों पर आएदिन हैशटैग के साथ 'बायकॉट बॉलीवुड' का ट्रेंड में रहना इसका प्रमाण है। इसकी सफलता का एक बड़ा उदाहरण आमिर खान की सुपर फ्लॉप फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के रूप में सबके सामने है। इस कड़ी में अगला पड़ाव थोड़ा हटकर है। इस साल सितंबर माह के आखिरी सप्ताह में ट्विटर पर प्रभावी रूप से सक्रिय 'बॉलीवुड के रत्न' (जेम्स ऑफ बॉलीवुड) ने एक आह्वान किया। लेकिन इस ने मुहिम को नाम दिया गया 'डिजिटल यज्ञ'। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को मायानगरी के दुश्चक्र से बचाना और उसे यह बताना था कि मायानगरी की ओट में कुछ लोग किस तरह भारतीय सनातन संस्कृति को चोट पहुंचा रहे हैं। ट्विटर पर इसे हजारों लोगों ने न केवल पसंद किया, बल्कि एक अच्छी पहल बताते हुए इस मुहिम को अपना समर्थन दिया।
दरअसल, 'मायानगरी की बुद्धि-शुद्धि' के लिए ट्विटर पर चलाए गए इस 'डिजिटल यज्ञ' की रूपरेखा विस्तृत है। इसमें से कुछ को बिंदुवार स्पष्ट किया गया कि कैसे बॉलीवुड में बैठे माफिया के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए। इसमें यह बताने का प्रयास किया गया कि कैसे फिल्म कंपनियों के सितारे अपने निजी स्वार्थ के लिए न केवल हमारे धर्म-संस्कृति का मजाक उड़ाते हैं, बल्कि देश की अस्मिता तक से खिलवाड़ करने से नहीं चूकते। इन सब का नई पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इस ट्विटर हैंडल पर समय-समय पर हिंदी फिल्मों के ऐसे वीडियो क्लिप साझा किए जाते हैं, जिनमें सनातन संस्कृति, हिंदू देवी-देवताओं और देश का उपहास उड़ाया जाता है। बॉलीवुड में हिंदू और हिंदुत्व विरोधी तत्वों के विरुद्ध लोगों में जागरुकता लाने के लिए चलाए गए अभियान को मुख्यतः चार बिंदुओं में समझा जा सकता है-
घर- घर जाइए और जगाइए
Diese Geschichte stammt aus der November 13, 2022-Ausgabe von Panchjanya.
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कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
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अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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