चौदह साल पहले यह जगह होटल ताज आतंकियों के कब्जे में था । हर आघात में अडिग रहने वाले इस भारतीय लोकतंत्र के लिए इस जगह से हमारा संदेश क्या है? हम जानना चाहेंगे राममाधव जी के मन में क्या है?
दुनिया में अगर एक देश आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार हुआ है, तो वह हमारा देश भारत है। हम दशकों तक इसकी त्रासदी झेलते रहे । हमारी सेना, पुलिस के अनेक लोग बलिदान हुए। बहुत बड़ी संख्या में नागरिक बलिदान हुए। जनरल वैद्य को पुणे में मार दिया गया और यहां मुंबई में सैकड़ों निर्दोष मारे गए। तो, आतंक का सबसे बड़ा शिकार भारत रहा है। पर यह कहते हुए मैं एक पंक्ति और जोड़ना चाहूंगा। भारत केवल आतंक का शिकार होने वाला देश मात्र नहीं है, भारत आतंक से लड़ने, परास्त करने की क्षमता रखने वाला देश भी है।
आज हमारे पास इसका पूरा ज्ञान है कि आतंक होता क्या है, इसके कितने आयाम हैं, कितने प्लेयर होते हैं, कौन-कौन-सी गतिविधि आतंक को प्रोत्साहन देती है, आतंक में लिप्त होती है। इस ज्ञान के आधार पर हमने आतंक को परास्त करने में बड़ी सफलता पाई। 2008 की घटना बड़ी घटना थी, पर वह आखिरी नहीं थी। उसके बाद भी 4-5 साल तक आतंकी घटनाएं होती रहीं। हमारे त्योहार, हमारे बाजार, हमारे स्कूल, हमारी ट्रेनें सुरक्षित नहीं थीं। पर पिछले आठ साल में कश्मीर को छोड़, बाकी पूरे देश ने आतंक को एक इंच भी जमीन नहीं देने के लिए संकल्प से काम किया। यह इसलिए संभव हुआ कि हमने आतंक को, केवल आतंकवादी की दृष्टि से नहीं, इसके पीछे की व्यापक मशीनरी, आतंकवादी तंत्र और उस तंत्र से कैसे निपटना है, यह जाना है। इसे आज दुनिया हमसे सीखती है, सीखना चाहिए। कानून में इससे कैसे लड़ना है, हमारे पास उसका भी ज्ञान है। इसलिए हम जब इस प्रकार का कार्यक्रम करते हैं तो दुनिया को यह बताने के लिए कि न केवल हम शिकार हैं बल्कि आतंकवाद विरोध के विशेषज्ञ भी हैं।
Diese Geschichte stammt aus der December 11, 2022-Ausgabe von Panchjanya.
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