• प्रधानमंत्री के पंच प्रण में विशेष उल्लेख है कि औपनिवेशिक दासता की मानसिकता से मुक्त हुए बिना भारत आगे नहीं बढ़ सकता। गोवा में औपनिवेशिक दासता से मुक्ति के लिए तथ्यों के तौर पर चीजें लोगों के बीच जाएं, कड़वाहट के तौर पर न जाएं, इसके लिए आप क्या पहल करेंगे ?
सबसे पहले मैं नमन करता हूं स्वातंत्र्य वीरों को, चाहे वे गोवा के रहे हों या देश भर से आए सत्याग्राही हों, जिन्होंने गोवा मुक्ति संग्राम में बलिदान दिया, त्याग किया। यह सही है कि देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है और गोवा अपनी मुक्ति की 61वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन पूर्ण मुक्ति के लिए औपनिवेशिक मानसिकता से आगे बढ़ने की जरूरत है। लोगों को इस औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति मिले, हम इसी बात को लेकर चल रहे हैं।
• गोवा में भाजपा दोबारा सत्ता में है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर की समाज में जो छवि थी, सादा, विनम्र और निष्ठावान की, वैसी ही छवि आपकी भी है। लेकिन छवि के साथ सुशासन भी हो, यह जी के समय में देश ने पहली बार अनुभव किया था। सुशासन के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?
आपने सुशासन की बात की, आपने अटल जी को याद किया। इस अवसर पर मैं सबसे पहले अटल जी का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने सत्याग्रहियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा, पेंशन आदि सुविधाएं दीं। और आज की यह सभा जहां हो रही है, इस स्थान का उद्घाटन भी अटल जी के ही हाथों हुआ था, और यह गोवा के लिए बहुत बड़ी बात है। और, उसी सुशासन को लेकर मनोहर पर्रीकर जी हमेशा चलते थे। इसमें मैं कहूंगा कि सबसे आगे हम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जो आत्मनिर्भर भारत का मिशन है, उसमें हमारा 'स्वयंपूर्ण गोवा' सुशासन का एक संकल्प है। हम इसी है को लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं।
• गोवा के लिए आत्मनिर्भरता का एक बड़ा अंश पर्यटन से जुड़ा हुआ है। इसे देखें तो गोवा की छवि मौज-मस्ती के एक ठिकाने की है। परंतु इस राज्य की एक बड़ी सांस्कृतिक विरासत भी है। क्या गोवा मौज-मस्ती का ठिकाना ही बना रहेगा या फिर गोवा की असली कहानी बताने के बारे में या सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के बारे में भी सोचा जा सकता है ?
Diese Geschichte stammt aus der January 08, 2023-Ausgabe von Panchjanya.
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