अटल जी कवि थे, नेता थे, वक्ता थे। इसके साथ ही वे पत्रकार थे, पाञ्चजन्य के प्रथम संपादक थे। अटल जी ने इन अलग-अलग भूमिकाओं का जो निर्वहन किया, उनमें समानता क्या है ? इसके पीछे चिंतन यही था कि समाज, भारत, हमारी संस्कृति, हमारी हजारों साल से चली आ रही पहचान, उसको किस तरह आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने एक पत्रकार के रूप में कलम हाथ में ली तो इसी कारण से ली। नेता के नाते मंच पर आए तो इसी के कारण आए। जब अवसर मिला कि सरकार बनानी चाहिए तो उन्होंने सरकार भी इसीलिए बनाई कि हम किस तरह से सुशासन के द्वारा समाज को बनाएं। मैं विद्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने सुशासन दिवस की शुरुआत की।
देश जोड़ने की शुरुआत
देश को जोड़ने का काम अटल जी ने किया। भारत जोड़ो यात्रा उस समय से जारी है। सही मायने में भारत जोड़ो की शुरुआत मन को जोड़ने से होती है। मन को जोड़ने के लिए विचार के साथ मन को जोड़ना चाहिए और राष्ट्र को किस तरह आगे लाना है, विचार उससे भी जोड़ना चाहिए। तो जोड़ने की शुरुआत अटल जी ने बहुत पहले से कर दी थी । ने जनसंघ इसीलिए बनाया गया था। बाद में भाजपा की स्थापना हुई। इन सभी में समानता है कि व्यक्ति को समाज के साथ और समाज को राष्ट्र के साथ जोड़ना चाहिए। तो सही मायनों में जोड़ने की शुरुआत अटल जी ने सुशासन के जरिए की थी।
Diese Geschichte stammt aus der January 08, 2023-Ausgabe von Panchjanya.
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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