भारत का वायरसजीवी विपक्ष
Panchjanya|January 08, 2023
कोरोना की अगली लहर चाहे आए या न आए, भारत को ऐसे संकट काल में चिताओं पर रोटियां सेंकने वालों से लगातार सतर्क रहना होगा। देखिए, पिछली बार क्या किया था उन्होंने...
नागार्जुन
भारत का वायरसजीवी विपक्ष

अब देखिए, भारत के नागरिकों के लिए खतरे का असली स्रोत कहां है। कौन है देश की स्वास्थ्य रक्षा तक से ईर्ष्या रखने वाला ? क्या किया था उसने, जब देश संकट में था ? 

तब्लीगी जमात - याद कीजिए, मार्च 2020 के तीसरे सप्ताह में जब कोरोना महामारी रफ्तार पकड़ने लगी थी, तो केंद्र सरकार ने पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया, फिर 24 मार्च को 21 दिन के लिए देशव्यापी संपूर्ण लॉकडाउन लगाया। बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर 3 मई तक कर दी गई। इस दौरान सब कुछ बंद था। लोग घरों में कैद हो गए थे। दफ्तर - बाजार, आवाजाही और मंदिरों के कपाट बंद थे, लेकिन लोग सुरक्षित थे। सऊदी अरब ने भी हज पर भी पाबंदी लगा दी थी, लेकिन भारत के मुसलमानों के एक वर्ग का एजेंडा शायद कुछ और था। दिल्ली ही नहीं, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक सहित पूरे देश में मुसलमान लॉकडाउन का उल्लंघन कर नमाज के नाम पर मस्जिदों में उमड़ते रहे। जब पुलिस ने मस्जिदों से नमाजियों को हटाने की कोशिश की, तो पुलिस टीम और सुरक्षाबलों पर हमले किए गए। मुसलमानों को उकसाने के लिए यह ब फैलाई गई कि कोरोना का असर मुसलमानों पर नहीं होगा। शायद यह भी काफी नहीं था, लिहाजा चीन, यमन, बांग्लादेश, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ईरान, मलेशिया सहित 40 देशों के जमाती मुसलमानों को बड़ी संख्या में भारतीय मुसलमानों के साथ मार्च में दक्षिण दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज जमात में एकत्र कराया गया, ताकि किसी तरह तो कोरोना फैले ! किसी तरह तो लॉकडाउन और शारीरिक दूरी बनाए रखने के दिशानिर्देशों को विफल किया जाए। ये सारे जमाती निजामुद्दीन मरकज में जमे रहे। पुलिस जब इन्हें मरकज से अस्पतालों में ले जा रही थी, तब ये पुलिसबल से बदतमीजी कर रहे थे। अस्पताल पहुंचने पर नर्सों से बदतमीजी करना, इधर उधर थूकना - खांसना, यह सब एजेंडा नहीं, तो क्या था ?

Diese Geschichte stammt aus der January 08, 2023-Ausgabe von Panchjanya.

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