जिस जल से जीवन उपजा, मानव जगत अब उसी के जीवन की चिंता में है। दुनिया के पैमानों से जल-संकट देखना जरूरी है तो भारतीय परंपराओं के दर्पण से अपने मसलों को सुलझाना भी हमारी समझ का ही प्रमाण होगा। आधुनिक जगत के विकारों का समाधान पंचमहाभूत की वैज्ञानिकता के गर्भ में है। धरती, जल, अग्नि, वायु और आकाश, पांचों तत्वों की शुद्धता ही हमारे अस्तित्व का आधार है। शोषण की पश्चिमी और उर्ध्वगामी विचारधारा की जकड़ में आने वाली भारतीय पीढ़ी को वो प्रथाएं, आचरण याद करने का समय है कि हम पृथ्वी जल-पहाड़-पशु से भी जब कुछ लेते थे, तो पहले उनके पांव छूकर इसकी आज्ञा लिया करते थे। लेते भी इतना ही, जितनी जरूरत हो। हमारे वेदों और सनातन ग्रंथों में जल के पूजन, उसके अलग-अलग स्वरूपों के महात्म्य, उपयोग, शुद्धिकरण और संग्रहण की विधियों की जानकारी है। जल स्थिति के मापन और जल संरचनाओं के निर्माण की विधाओं, कलाओं और वस्तु का पूरा उल्लेख है।
मैकाले शिक्षा पद्धति ने सनातन ज्ञान को जिस तरह आच्छादित किया, उसने हमारा भरोसा खुद पर ही डिगा दिया। देश के इतिहास में पहली बार दशक भर में जल के बिखरे - बिखरे काम को जल-शक्ति मंत्रालय की देख-रेख में सौंपा गया। तकनीक और पारंपरिक ज्ञान की मदद से पानी के काम की प्रगति पर निगरानी रखने और सच को स्वीकारने वाली सोच के साथ, जन-जन से जल-संवाद शुरू हुआ तो उसमें 'पाञ्चजन्य' ने भी अपने पन्नों से 'जल-आंदोलन' छेड़ा। जल की चुनौतियों-प्रयोगों पर बेबाकी से बात कहने और समुदायों की पहल को सराहने में कसर नहीं छोड़ी। बड़ी बात छोटी-छोटी आदतों में बदलाव की तो है ही, खेती में पानी की बर्बादी पर लगाम कसने की भी है। खेती में पानी के प्रबंधन की अनदेखी और प्रदूषित पानी, देश को स्वास्थ्य और खाद्य संकट के मुहाने पर न धकेल दे, इसके लिए सब सजग हैं। उज्जैन के तीन दिवसीय आयोजन 'सुजलाम्' में देश भर के चिंतकों, उपासकों, वैज्ञानिकों, साधुओं और लोक समाज की बात सुनी, कही गई। विमर्श की इस धार को कर्मभूमि मिली तो यहीं से भूगर्भ जल छलकेगा, बरसता हुआ एकत्र होगा और जल-संकट से देश समय रहते उबरेगा। जलवायु संकट के बीच जल-समाधान के लिए दुनिया हमारी ओर भरोसे से देख सके, तो यह सदी की बड़ी उपलब्धि गिनी गाएगी।
हमारा वैदिक ज्ञान
Diese Geschichte stammt aus der January 15, 2023-Ausgabe von Panchjanya.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
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