मुफ्त के चक्कर में लुटने का खतरा
Panchjanya|05 February 2023
जिस गूगल के ब्राउजर एप्लीकेशन क्रोम को दुनिया के 66 प्रतिशत लोग विश्वसनीय मानते हैं, उसमें मौजूद एक खामी ने 250 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के बेहद संवेदनशील डेटा को खतरे में डाला
अमित दुबे
मुफ्त के चक्कर में लुटने का खतरा

इंटरनेट पर कुछ भी करने के लिए ब्राउजर एप्लीकेशन एक प्रवेश द्वार की तरह काम करता है। लेकिन इस तरह के एप्लीकेशन की सुरक्षा में हुई मामूली चूक भी उपयोगकर्ता को बड़ी परेशानी में डाल सकती है। गूगल क्रोम भी ऐसा ही ब्राउजर एप्लीकेशन है। विश्व में लगभग 66 प्रतिशत इंटरनेट उपयोगकर्ता इसे विश्वसनीय मानते हैं। लेकिन बीते दिनों क्रोम की एक कमजोरी उजागर हुई, जिससे लगभग 250 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं का डेटा खतरे में पड़ गया है। एक साइबर सुरक्षा कंपनी इम्परवा रेड ने क्रोम और क्रोम आधारित ब्राउजर में एक खामी का पता लगाया है।

दरअसल, जब आप गूगल क्रोम का उपयोग सर्चिंग, ईमेल लॉग इन या दूसरी गतिविधियों के लिए करते हैं तो उसमें आपकी ढेरों व्यक्तिगत सूचनाएं एकत्रित होती रहती हैं। जैसे- आप ईमेल लॉग इन करते हैं तो अपने नाम, ईमेल आईडी, पासवर्ड, ऑनलाइन बैंकिंग का प्रयोग करते हैं तो बैंक खाते से जुड़ी सूचनाएं और जब ऑनलाइन आयकर रिटर्न भरते हैं तो आपका मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासवर्ड आदि तमाम सूचनाएं और सर्चिंग गतिविधियां वेबसाइट के अलावा ब्राउजर में भी संचित हो जाती हैं। अगली बार जब आप वही जानकारी किसी और फॉर्म में भरते हैं, या इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं तो ब्राउजर आपको अपने पास संचित जानकारियां दिखाने लगता है। इससे यह सुविधा होती है कि आपको पूरा ब्योरा दोबारा टाइप नहीं करना पड़ता। ब्राउजर के इस फीचर को ऑटो-फिल फीचर कहते हैं। चूंकि ब्राउजर में संचित ये सूचनाएं नितांत व्यक्तिगत और महत्वपूर्ण होती हैं, इसलिए यदि किसी ने इसे हैक किया तो आपकी गोपनीय सूचनाएं सार्वजनिक हो सकती हैं। ब्राउजर की सुरक्षा में कमियों के कारण ये सूचनाएं डार्क वेब पर पहुंचा दी जाती हैं, जहां से यह अपराधियों के हाथों में पहुंच जाती हैं। इसके बाद आपके साथ क्या-क्या हो सकता है, इसका अनुमान लगाते रहिए। 

Diese Geschichte stammt aus der 05 February 2023-Ausgabe von Panchjanya.

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