आप एक युवा नेता हैं। 2014 के बाद दुनिया के दृष्टिकोण में भारत को लेकर जो बदलाव हुआ है, उसे आप कैसे देखते हैं ?
सबसे पहले तो मैं बधाई देता हूं कि पाञ्चजन्य अपना अमृत महोत्सव मना रहा है। इतना लंबा सफर किसी भी संस्था के लिए बड़ी बात होती है। मेरा सौभाग्य है कि मेरे परिवार के ही एक सदस्य और हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी इस संस्था से जुड़े रहे। इस संस्था की जो सोच है, विचारधारा है, दृष्टिकोण है, जीवन के प्रति समर्पण भाव है, इन सबके प्रेरक दीनदयाल उपाध्याय जी हैं। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री की जो सोच है कि उसमें अमृतकाल से शताब्दी काल तक के सफर में भारत वैश्विक रूप धारण कर लेगा। ऐसे ही पाञ्चजन्य भी इस रूप को धारण कर सकता है, ऐसी योजना आप लोगों ने बनाई होगी।
अब सवाल का जवाब देता हूं। पिछले आठ वर्ष में विश्व में भारत की प्रस्तुतिकरण में एक बदलाव आया है। कभी कोई भारत की अहमियत को नकार नहीं सकता था, लेकिन विश्व पटल पर भारत की जो एक आवाज होनी चाहिए थी, उससे भारत आजादी से आज तक वंचित था। 2014 में पद ग्रहण करने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस दिशा में कड़ी मेहनत की और आज वैश्विक पटल पर उसका परिणाम भी दिख रहा है। केवल 135 करोड़ देशवासी भारत के अंदर ही नहीं, बल्कि साढ़े तीन करोड़ प्रवासी भारतीय विश्व के कोने-कोने में भारत की धाक स्थापित कर रहे हैं। कई मुद्दों पर आज भारत आगे बढ़ रहा है। आर्थिक मामले में 2013-14 में भारत 11वें नंबर पर था, आज पांचवें क्रमांक पर है। इसमें हमने बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत 2030 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।
Diese Geschichte stammt aus der 29 January 2023-Ausgabe von Panchjanya.
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