■ फिजी में एक छोटे भारत के दर्शन होते हैं । साझा सांस्कृतिक विरासत है। पूर्वज साझे हैं। इस साझेपन को आप कैसे देखते हैं?
सबसे पहले मैं पाञ्चजन्य के पाठकों को फिजी की ओर से स्नेह और धन्यवाद व्यक्त करता हूं। भारत आकर बहुत अच्छा लगता है। अब बात फिजी में छोटे भारत के दर्शन की तो निश्चित रूप से फिजी-भारत का एक इतिहास है। सबसे पहले भारत से 1879 में अंग्रेजी राज के अंतर्गत भारतीयों को यहां से अन्य देशों में ले जाया गया था। मॉरीशस, त्रिनिदाद, घाना, लेकिन फिजी इसमें अंतिम देश था तो उसी समय से भारत और फिजी का संबंध जुड़ा हुआ है, जो आज तक कायम है। बात यह है कि जब हमारे पूर्वज यहां (भारत) से गए थे तो अपनी संस्कृति, सभ्यता, संस्कार साथ लेकर गए थे । और जब वे फिजी में पहुंचे तो गिरमिट प्रथा थी, उसके तहत उन पर बहुत अत्याचार हुए। इसमें अकेले हिन्दू ही नहीं थे, अन्य मत-पंथों के लोग भी थे। सभी जहाजी भाई बनकर गए थे। और सभी ने फिजी में धर्म-संस्कृति को बरकरार रखा। हमारे पूर्वजों ने बहुत मेहनत की। लगन से काम किया। आज भी हमारी भाषा में हिन्दी प्रमुख है। हमारी संस्कृति और सभ्यता जो है वह धर्म है। एक और बात, हमारे पूर्वज यहां से गए जरूर लेकिन ऐसा कभी नहीं रहा कि कोई संपर्क टूटा हो भारत से। यहां से लोग आते-जाते रहे हैं। भारत के लोग जानना चाहते थे कि वहां गिरमिटिया सिस्टम कैसा है। खबरों के जरिए वे जानते थे कि इसके तहत अत्याचार होता है। तो उसे बंद कराने के लिए प्रयास भी करते रहते थे। इसी कारण भाषा, धर्म, संस्कृति और सभ्यता का आदान-प्रदान होता रहा है। और इसलिए फिजी में आज हमारी सभ्यता-संस्कृति, विशेषकर हिन्दी भाषा को संरक्षित करके रखा गया है और लगातार उसका प्रचार-प्रसार हो रहा है। कभी-कभी जब लोग भारत से फिजी आते हैं तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य होता है कि डेढ़ सौ सालों के बाद भी वही सभ्यता-संस्कृति जीवंत है। आज भी फिजी में जितने भारतीय बुजुर्ग हैं, उनका भारत से बहुत लगाव है। क्योंकि जब भी उन्हें जीवन में मौका मिलता है तो वे भारत के धार्मिक स्थलों - मथुरा, काशी, अयोध्या, ऋषिकेश एवं पूर्वजों के अन्य स्थानों पर जाना चाहते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der February 26, 2023-Ausgabe von Panchjanya.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der February 26, 2023-Ausgabe von Panchjanya.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई