कुछ महीनों से एक चलन-सा देखने में आया है। विशेष रूप से पश्चिमी भारत के पंजाब प्रांत में भगवंत मान की अगुआई में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से। पंजाब में जहां सीमा पार से संचालित जिहादी हरकतें बढ़ी हैं, वहीं मादक द्रव्यों की तस्करी और युवाओं को उग्रपंथ से जोड़ने जैसी करतूतें भी देखने में आ रही हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कथित इशारे पर इस सीमांत प्रांत में खालिस्तानी उग्रपंथी नए सिरे से सिर उठा रहे हैं । यदा-कदा गुरुद्वारों में खालिस्तानी झंडे और भिंडरांवाले की तस्वीरें लहराई जाती रही हैं, भारत विरोधी मोर्चों और रैलियों के आह्वान किए जाते रहे हैं। वहीं हिन्दुत्वनिष्ठ विचार रखने वालों पर जानलेवा हमले किए गए हैं, भरे बाजार उनकी हत्या की गई है। नवम्बर 2022 में अमृतसर में एक स्थानीय मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल शिवसेना नेता सुधीर सूरी पर गोलियों की बौछार करके उन्हें जान से मार दिया गया।
विशेषज्ञों में पंजाब के तेजी से खराब होते जा रहे हालात को लेकर चिंता है। कुछ तो इसमें '80 के दशक में खालिस्तानी आंदोलन के दौरान जो कड़वे अनुभव हुए उसकी झलक देख रहे हैं। सत्ता कुर्सी के मद में डूबी है, भारतविरोधी तत्व बेखौफ हैं।
लेकिन भारत के विरुद्ध इस उग्रपंथ को सिर्फ पंजाब में ही फिर से जिलाने की कोशिशें नहीं हो रहीं। बीते तीन महीने से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से आ रहीं खबरों पर नजर डालें तो वहां भी हिन्दुत्व को निशाना बनाने और उसकी आड़ में विश्व पटल पर तेजी से बढ़ते भारत को आघात पहुंचाने की खालिस्तानी साजिश साफ नजर आती है।
Diese Geschichte stammt aus der PANCHJANYA 05 March 2023-Ausgabe von Panchjanya.
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